नई दिल्ली. मछली पालन में मौसम के लिहाज से मछलियों का ख्याल रखना होता है. जैसे अभी अगस्त का महीना चल रहा है तो मछलियों के पूरक आहार का प्रयोग कुल वजन के 3-5 प्रतिशत की दर से करें. पूरक आहार के प्रयोग में हमेशा बैग फिडिंग 16-20 बैग प्रति हेक्टेयर की दर से करें. साथ ही प्रति बैग में 5-10 किलो पान पूरक आहार दें. बैग में छोटा-छोटा छेद बनाकर पानी की सतह से आधा से एक फीट नीचे बांधें. बैग से बैग की दूरी 300 वर्ग मी (10-30) लीटर होनी चाहिए.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार (Animal and Fisheries Resources Department, Government of Bihar) की एडवाइजरी की मानें तो आज प्रयोग किये गये बैग को कल उपयोग न करें. बैग का प्रयोग से पहले उसे अच्छी तरह नमक के घोल में साफ कर सुराख लें.
जानें क्या करना है
तालाब में महीने के आखिरी में जाल अवस्य चलवायें (पंगेशियस तालाब में जाल नहीं चलाएं.
अगस्त माह में नियनित रूप से 10-15 किलो प्रति एकड़ की दर से हर हफ्ते चूने का प्रयोग करें. ताकि तालाब के पीएच में परिवर्तन से बचाया जा सके.
रात के समय मछलियों के पानी के सतह पर आना इस बात की ओर इशारा करता है कि तालाब में घुलनशिल ऑक्सीजन की कमी है.
इसके लिए एलेवेटर या पंप चलायें. 500 ग्राम से 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से ऑक्सीजन बढ़ाने वाली दवा का प्रयोग करें.
बादल समय मछलियां आहार लेना कम कर देती हैं. बादल छाये रहने पर नियमित आहार की मात्रा को आधा कर दें.
मत्स्य बीज उत्पादक हैचरी से प्रजनक मछली से दो से अधिक बार ब्रीडिंग नहीं कराएं.
मत्स्य बीज उत्पादक प्रति वर्ष 30 प्रतिशत प्रजनक मछली को उपयोग करने के बाद हटा दें.
30 प्रतिशत नया प्रक मछली को दी, चौर एवं मम से संग्रह करें, ऐसा करने से हैचों में बीज उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर बनी रहेगी.
पानी की गुणवत्ता के लिए जलीय प्रोबायोटिक्स 400 ग्राम प्रति एकड़ पानी में घोलकर छिड़काव करें.
मछली के अधिक वृद्धि के लिए गए प्रोबायोटिक्स 2-5 ग्राम प्रति किलोग्राम पूरक आहार में मिला कर प्रयोग करें.
तालाब का पानी अधिक हरा होने पर 20 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से फिटकरी या 250 ग्राम एट्राजील (50 प्रतिशत) प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल कर तालाब में छिड़काव करें.
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