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Fisheries: फिश फार्मिंग में आइस प्लांट लगाने और इन कामों के लिए सरकार देगी 60 लाख रुपए की मदद

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. मछली पालन से जहां किसानों को अच्छी आमदनी होती है और मछली किसान एक एकड़ के तालाब में मछली पालन करके साला 5 से 6 लाख रुपए तक कमाई कर सकते हैं. वहीं तालाब से मछली निकालने के बाद उसके रखरखाव और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की भी जरूरत पड़ती है. फिश फार्मिंग में यह भी एक अहम काम होता है, जिसपर काफी हद तक मछली पालन का मुनाफा टिका होता है. फिश एक्सपर्ट का कहना है कि ताजी मछली का दाम अलग होता है, जबकि बर्फ में एक जगह से दूसरी जगह भेजी जाने वाली मछली का दाम अलग मिलता है. बता दें कि जिंदा मछली की डिमांड बाजार में हमेशा बनी रहती है.

तालाब से निकलने के बाद अगर सही वक्त पर मछली बाजार में पहुंच जाए और उसके बाद ग्राहकों तक, तो इसका ज्यादा मुनाफा मछली पालकों और बीच में काम करने वाले लोगों को मिलता है. सरकार चाहती है कि मछली जब तालाब से निकल जाए तो उसके रखरखाव और परिवहन के लिए तमाम जरूरी चीजों का विकास किया जाए. जिससे मछली पालक को अच्छा दाम मिल सके. यही वजह है कि सरकार मत्स्य आधारित संरचना का विकास को लेकर भी सब्सिडी दे रही है.

मिल रही है आर्थिक मदद
सरकार की मंशा है कि मछली व्यापारी कोल्ड स्टोरेज के प्लांट का निर्माण, कोल्ड स्टोरेज का रिनोवेशन और खुदरा मछली बाजार और संसाधनों के विकास के लिए सरकारी आर्थिक मदद का फायदा उठाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकें. जिसके लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं के तहत 40 फीसदी से लेकर 60 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है. सरकार आइस प्लांट और कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के लिए 10 से 50 टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता की इकाई लागत पर सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग और सभी महिलाओं व सहकारी समितियों को 60 प्रतिशत का अनुदान दे रही है.

सरकार दे रही है 40 से 60 लाख रुपए की मदद
वहीं आइस प्लान्ट, कोल्ड स्टोरेज के रिनोवेश के लिए 50 लाख रुपये लागत वाली इकाई पर सामान्य वर्ग के मछली पालकों को 40 प्रतिशत यानि 20 लाख रुपऐ की आर्थिक सहायता मिलेगी. जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग और सभी महिलाओं व सहकारी समितियों को 60 प्रतिशत यानि रुपये 30 लाख रुपए का अनुदान मिलेगा. इसके अलावा खुदरा मछली बाजार और संसाधनों के विकास (सामूहिक कोल्ड स्टोरेज, वेस्ट स्टोरेज, मछली की सफाई, कटाई की जगह, मछली की नीलामी की जगह, पानी व बिजली की व्यवस्था समेत खुदरा दुकानों / बाजार की यूनिट, जिसका खर्च तकरीबन एक करोड़ रुपए है. इसपर सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत यानि 40 लाख रुपए और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व सभी महिलाओं व सहकारी समितियों को 60 फीसदी यानि 60 लाख रुपए दिया जाएगा.

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