नई दिल्ली. मछली पालन के दौरान जब बरसात का महीना आता है, तब बारिश होने के चलते तालाब में रोड से नाली से और दूसरे तरीकों से गंदा पानी बहकर चला जाता है. इससे जहां तालाब की में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है तो वहीं मछलियों के लिए प्राकृतिक भोजन की भी कमी हो जाती है. जिससे नेचुरल फीड पर पलने वाली मछलियों को खाना नहीं मिलता है और फिर बाद में उनमें मृत्युदर दिखाई देती है.
क्या करना चाहिए, जानें यहां
- बारिश के दिनों में सबसे पहले पानी के पीएच लेवल और पानी की सफाई पर ध्यान देना चाहिए.
- इसका सबसे सरल और असरदार उपाय पत्थर वाला चूना है. क्योंकि चूना एक पारंपरिक और वैज्ञानिक प्रमाणित तरीका है, जो सालों से मछली पालन में इस्तेमाल होता है.
- अगर आप एक एकड़ तालाब में 50 से 60 किलो पत्थर वाला चूना डालते हैं तो वह तालाब के पानी मैं मौजूद अम्लीय तत्वों को खत्म कर देता है और पानी का पीएच लेवल सामान्य कर देता है.
- जब पीएच लेवल सामान्य हो जाता है तो मछलियों के लिए अनुकूल वातावरण मिल जाता है और उनकी ग्रोथ तेजी के साथ होती है.
- चूना तालाब के तल में जमी हुई गंदगी और जैविक कचरों को साफ करने में मदद करता है.
- बारिश के बाद कीचड़ और सड़ी गली सामग्रियां पानी की सतह पर जमा हो जाती हैं. जिससे अमोनिया गैस बनती है. चूना इसको खत्म करने में भी कारगर है.
- चूना पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और फंगल को भी खत्म कर देता है. जिससे मछलियों को ग्रोथ करने में आसानी होती है और उन्हें स्किन डिजीज नहीं होती है.
- तालाब का पूरा वातावरण धीरे-धीरे साफ सुथरा और स्थित करने के लिए चुनाव बेहद ही जरूरी है.
- पत्थर वाला चूना मछलियों के शरीर पर कोई नुकसान भी नहीं करता है. इसलिए आप इसे निर्धारित मात्रा में डाल सकते हैं.
चूना नुकसान से बचाता है
पशु और मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार Animal and Fish Resources Department, Government of Bihar के एक्सपर्ट का कहना है कि चूना बारिश के पानी से होने वाले नुकसान से मछलियों का बचाव करता है. अगर आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो मछली पालन में फायदा मिलेगा नहीं तो नुकसान हो सकता है.
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