नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई काम कर रही है. केंद्र सरकार से लेकर तमाम राज्यों की सरकारें भी मछली पालन को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं. दरअसल, कहीं ना कहीं कृषि योग्य भूमि की कमी की वजह से भी पशुपालन और मछली पालन जैसे कामों को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं केंद्र सरकार किसानों की इनकम को दोगुना करने की बात पहले ही कह चुकी है और सरकार का यह मानना है कि यह तभी संभव हो पाएगा, जब पशुपालन और मछली पालन जैसे कामों को बढ़ावा दिया जाए. ऐसे में अगर कृषि के अलावा किसानों के पास मछली पालन जैसा काम भी होगा तो उनकी इनकम डबल हो जाएगी.
देश की तमाम राज्यों की सरकारें इसको लेकर काम कर रही हैं. वहीं उत्तराखंड में भाजपा सरकार भी इस काम को करने में पीछे नहीं है. एनिमल हसबेंडरी, डेयरी एंड फिशरीज डिपार्टमेंट के मंत्री सौरभ बहुगुणा उत्तराखंड में मत्स्य पालन विभाग को अभूतपूर्व विस्तार देने और विकास करने में लगे हुए हैं. ताकि इस सेक्टर से जुड़े लोगों को सीधे तौर पर फायदा हो सके और वो राज्य की तरक्की में अपना सहयोग दे सकें.
फिशरीज सेक्टर है अहम
उत्तराखंड राज्य के मंत्री सौरभ बहुगुणा का कहना है कि उत्तराखंड की दो सबसे बड़ी समस्याएं पलायन और बेरोजगारी है. जबकि इसको दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जब मेरे पास एनिमल हसबेंडरी डेयरी फिशरीज डिपार्मेंट आया तब से मेरा भी यही मानना था कि ग्रामीण व्यवस्था को ठीक करने के लिए मछली पालन बेहद ही जरूरी है और इसके लिए मत्स्य विभाग को मजबूत करना होगा. वहीं उन्होंने पशुपालन और दूध उत्पादन को भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम बताया. कहा कि साल 2022 की बात से मछली पालन विभाग ने काफी तरक्की की है. उत्तराखंड में जो जीएसपी कंट्रीब्यूशन होता है, जिसमें ये पता लगता है कि कौन सा विभाग राज्य के ग्रोथ में कितना सहयोग कर रहा है तो तब फिशरीज डिपार्मेंट टॉप 25 में भी नहीं था.
तेजी से ग्रोथ कर रहा है फिशरीज सेक्टर
उन्होंने आगे कहा कि अब फिशरीज डिपार्टमेंट ने बेहद तरक्की की है. जो नया डाटा सामने आया है, उसके मुताबिक फिशरीज सेक्टर उत्तराखंड का तीसरा सबसे ज्यादा तेज ग्रोथ करने वाला सेक्टर बन चुका है. इस सेक्टर ने 9.23 फ़ीसदी की ग्रोथ रेट से तरक्की की है. उन्होंने कहा कि इसको देखते हुए विभाग का बजट भी बढ़ाया गया है उन्होंने कहा कि पहले मत्स्य विभाग का बजट 80 करोड़ हुआ करता था. अब उसका बजट बढ़ा दिया गया है. अब इसका बजट 280 करोड रुपए कर दिया गया है. ताकि उत्तराखंड में रोजगार उत्पन्न हो सके. लोगों को फिशरीज से जोड़ा जा सके और पलायन की समस्या को भी कहीं ना कहीं दूरकर सके.
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