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Fish Farming Tips: इस कमी से मछलियों की नहीं होती है ग्रोथ, जानें वजन बढ़ाने का क्या है तरीका

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मछलियों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. कई बार मछलियों को उनकी जरूरत के मुताबिक नेचुरल फीड नहीं मिल पाता है. जिसे हम प्लैंक्टन कहते हैं, तब मछलियों की ग्रोथ अच्छी नहीं होती है और उनका वजन भी कम बढ़ता है. इसके नतीजे में जब हार्वेस्टिंग की जाती है तब मछलियों की संख्या भी कम रहती है. वहीं उनका वजन भी कम रहता है ऐसे में मछली पालक भाइयों को तगड़ा नुकसान हो जाता है. आपको बता दें कि मछलियों का रेट वजन के हिसाब से लगता है. अगर वजन ही कम रहेगा तब मछली पालक को फायदा कैसे मिलेगा. इसलिए बेहद ही जरूरी है कि मछलियों को भरपूर मात्रा में प्लैंक्टन उपलब्ध कराया जाए ताकि उनकी ग्रोथ अच्छी रहे.

फिश एक्सपर्ट का कहना है कि मछलियों को जहां एक ओर बाजार से खरीदा हुआ फीड देने की जरूरत होती है तो वहीं दूसरी ओर उन्हें प्लैंक्टन की भी जरूरत होती है. कई प्रजातियों की मछलियां तो सिर्फ और सिर्फ प्लैंक्टन पर ही निर्भर रहती है. क्योंकि उन्हें सिर्फ और सिर्फ नेचुरल फीड पसंद होता है और इसी को खाकर ही वह ग्रोथ हासिल करती हैं. ऐसे में मछलियों के लिए प्लैंक्टन बेहद ही जरूरी होता है. अगर मछलियों को प्लैंक्टन न मिले तो उनकी ग्रोथ रुक जाती है. इस आर्टिकल में हम प्लैंक्टन के बारे में आपको अहम जानकारी देने जा रहे हैं, जो मछली पालन में आपको काफी मदद पहुंचाएगी.

दो तरह के होते हैं प्लैंक्टन
पहले तो आप यह जान लें कि जिस तालाब का पानी हरा रहता है उसी में प्लैंक्टन बनता है. दरअसल प्लैंक्टन ही पानी को हरा करता है. इसलिए तालाब के पानी का हरा रहना बेहद जरूरी है. इसका मतलब है कि तालाब में अच्छी मात्रा में प्लैंक्टन है. आपको बता दें कि तालाब में प्लैंक्टन दो प्रकार के होते हैं. फाइटो प्लैंक्टन और जू प्लैंक्टन. आपको बता दें कि फाइटो प्लैंक्टन छोटे-छोटे हरे पौधे की तरह से होते हैं जो पानी में हरियाली लाते हैं. जिसको मछलियां खाकर अच्छी ग्रोथ हासिल करती हैं. वही जू प्लैंक्टन भी छोटे-छोटे होते हैं जिनको भी मछलियां बहुत पसंद करती हैं.

कई तरह से बनता है प्लैंक्टन
बहुत से किसान भाई इनको बनाने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. कोई सरसों की खली डालता है कोई यूरिया डालता है. कोई गोबर और फास्फेट मिलाकर प्लैंक्टन बनता है. वहीं कई बार लोग अनजानें में बायो फीड के नाम पर जहरीला केमिकल भी डाल देते हैं. फिश एक्सपर्ट का कहना है कि प्लैंक्टन बनाने का भी अपना एक तरीका है. जिसको जानना बेहद जरूरी है. बिना इसकी जानकारी किए हुए खुद से प्लैंक्टन नहीं बनाना चाहिए. नहीं तो तालाब में जहरीली गैस अमोनिया पैदा हो जाएगी. जिससे मछलियां मरने लगेंगी. आपको फायदे की जगह नुकसान होने लगेगा.

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Livestock Animal News

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