नई दिल्ली. बिहार सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए योजना की शुरुआत की है. ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान मछली पालन करें और अपनी इनकम को बढ़ा सकें. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार ने इस योजना का नाम “मत्स्य प्रजाति का विविधिकरण की योजना” रखा है. ये योजना वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए शुरू की गई है. इस योजना के लिए सरकार मछली पालन शुरू करने के लिए किसानों की मदद करेगी. मछली पालन ईकाई शुरू करने के लिए 60 फीसदी तक खर्च सरकार खुद उठागी. बाकी का खर्च मछली किसानों को खुद से उठाना होगा.
योजना का उद्देश्य की बात की जाए तो राज्य के वॉटर रिसोर्स में मौजूद देशी संभाव्य (Potential) “माईनर कार्प एवं “कैट फिश प्रजाति की विकसित हैचरी तकनीकी से बीज उत्पादन कर सही दाम पर पर मछली किसानों को उपलब्ध कराना तथा इसके पालन को बढ़ावा देना है. वहीं एक्वाकल्चर के प्रजाति आधार को देशी मूल के माइनर कार्प, कैट फिश, ब्रीथेबल मछली के साथ शामिल करके बढ़ाना है. जिससे इनके संरक्षण और संवर्द्धन के साथ-साथ मछली उत्पादकता तथा किसानों की सालाना इनकम में इजाफा करना है. साल 2024-25 में “मत्स्य प्रजात्ति का विविधिकरण योजना” को पायलट आधार पर मछली संपदा बाहुल्य जिलों व क्षेत्रों में मांग के आधार पर लागू किया जाएगा.
लाभार्थी का चयन कैसे होगा
- योजना के तहत निर्माण के लिए नीजी या लीज निबंधित एक हजार रुपये का नन-जूडिशीयल स्टॉम्प पर एकरारनामा कम से कम 9 वर्ष का भूमि पर होना जरूरी है. भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र मालगुजारी रशीद वर्ष एक वर्ष आवेदन के साथ देना होगा.
- माइनर कार्य हैचरी और कैट फिश हैचरी बनाने के लिए आवेदक के पास एकड़ भूमि होनी चाहिए. जमी भूमि निजी हो या लीज पर उसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए.
- पालन मात्स्यिकी के लिए निजी, लीज एकरारनामा 11 माह का होना चाहिए. वहीं वैध पट्टा, सरकारी तालाब, तालाब, बायोफ्लॉक टैंक, या आरएएस इकाई होना जरूरी है.
- एक्वाकल्चर में एक एक परिवार के एक व्यक्ति अधिकतम 1 एकड़ यानि 2 इकाई तथा न्यूनतम 0.25 एकड़ जलक्षेत्र की इजाजत दी जाएगी.
सरकार की तरफ से कितनी मिलेगी मदद
योजना के तहत सभी वर्गों के लाभार्थियों को और सभी अवयवों के लिए निर्धारित इकाई लागत का 60 प्रतिशत अनुदान देना होगा. बाकी बची रकम लाभार्थी को खुद लगानी होगी या बैंक से लोन लेनी होगी. योजना के लिए आवेदन fisheries.bihar.gov.in पर ऑनलाइन किये जायेंगे. माइनर कार्प हैचरी के लिए 13.12 लाख रुपये खर्च होंगे. माइनर कैट फिश हैचरी के लिए 15.37 लाख रुपये प्रति इकाई खर्च होंगे. माइनर कार्प “पालन मात्स्यिकी की योजना के लिए 94 हजार रुपये प्रति एकड़ 0.5 एकड़, कैट फिश और अन्य “एक्वाकल्चर” की योजना के तहत 1.35 लाख रुपये 0.5 एकड़ में खर्च होंगे.
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