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Fish Farming: ज्यादा प्रोडक्शन और ग्रोथ के लिए नए-पुराने तालाब का कैसे करें मैनेजमेंट

Animal Husbandry, Fish, Duck Farming, Poultry Farming
रूपेश कुमार का तालाब

नई दिल्ली. मछली पालन तालाब में किया जाता है. ऐसे में तालाब को मछलियों के माकूल बनाना जरूरी होता है. अगर ऐसा न किया जाए तो फिर प्रोडक्शन पर इसका असर पड़ेगा और मछली पालक को फायदे की जगह नुकसान हो जाएगा. एक्सपर्ट का कहना है कि चाहे नया तालाब हो या फिर पुराना. इसमें कुछ जरूरी चीजों को करना जरूरी होता है ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन हासिल किया जा सके. अब अगर नए तालाब की बात की जाए तो मछली पालक को तालाब के निर्माण के समय यह ध्यान देना चाहिए कि तालाब का निर्माण आयताकार हो तथा यह पूरब से पश्चिम की तरफ हो.

एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर तालाब आयताकार और पूरब से पश्चिम की तरफ होगा तो इससे, तालाब के पानी का हवा से संपर्क ज्यादा देर तक बना रहेगा. वहीं पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाएगी. इसके अलावा तालाब के बांध भी सुरक्षित रहते हैं. हवा की दिशा वाला बांध अधिक मजबूत होना चाहिए. तालाब के मिट्टी की जुताई करना चाहिए. जुताई के बाद उसे 3-7 दिन तक सूर्य की रोशनी में सुखने के लिए छोड़ देना चाहिए.

फिर भरना चाहिए तालाब
एक्सपर्ट का कहना है कि उसके बाद जोते हुए भाग पर भारी रोलर से मिट्टी को बैठाना चाहिए ताकि पानी भरने पर उसकी टर्बिडिटी (गंदलापन) कम हो. वहीं नये तालाब के मिट्टी के पीएच को ठीक करने के लिए पीएच के मान के अनुसार 500-1,000 किलो भखड़ा चूना प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए. उसके 3-5 दिन बाद तालाब की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद जैसे मवेशी का गोबर 5,000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या 2,500 किलो वर्मी खाद इस्तेमाल करना चाहिए. रासायनिक खाद में यूरिया 125-150 किलोग्राम / हेक्टेयर एसएसपी.-250-300 किलोग्राम/हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए. इसके बाद पानी भरना चाहिए. पानी की गहराई 1.50 मी0 (5-6 फीट) होनी चाहिए.

पुराने तालाब की तैयारी कैसे करें
पुराने तालाब की तैयारी के बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि पुराने तालाब की तैयारी को भी दो भागों में बांटा जा सकता है. वैसे तालाब जिससे पानी पूरी तरह से बाहर निकाला जा सकता है. वैसे तालाब जिससे पूरी तरह पानी बाहर नहीं निकाला जा सकता है. वहीं वो तालाब जिससे पानी पूरी तरह से बाहर निकाला जा सकता है. बताते चलें कि मछली पालन के बाद तालाब से पानी पूरी तरह बाहर निकाल दें. नहीं तो कम से कम तीन वर्ष में तालाब को अवश्य सुखा लें. पानी की निकासी के बाद आधा फीट तल के कीचड़ को अलग कर लें. यह कीचड़ (स्लज) उर्वरक के रूप में धान के खेत में या बगीचे या तालाब के बांध पर बागवानी में उपयोग में लाया जा सकता है. ऐसा देखा गया है कि इस कीचड़ का उपयोग करने पर, धान की खेती में 30 प्रतिशत तक उर्वरक कम खर्च होता है.

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