नई दिल्ली. यदि आपके पास एक एकड़ का तालाब है और मछली पालन से हर साल 5 से 6 लाख रुपए कमाना चाहते हैं तो कुछ बातों पर ध्यान देना बेहद ही जरूरी होता है. मसलन, जब जीरा मछली तालाब में डाली जाती है तो उससे पहले कुछ तैयारी की जाती है. अगर ऐसा ना किया जाए तो मछलियों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं और इससे मछलियों में मृत्यु दर दिखाई दे सकती है. जिस कारण फिश फार्मिंग में फायदे की जगह नुकसान हो जाता है और फिश फार्मर की लगाई गई लागत भी उसे नहीं मिल पाती है. तो किन बातों का ध्यान दिया जाता है. आइए इस बारे में जानते हैं.
जीरा मछली डालने से पहले तालाब में मौजूद पानी के पौधे छोटी मछलियों को निकाल देना सबसे जरूरी एक काम होता है. अगर तालाब में कीचड़ खरपतवार और जीव जंतु हैं तो उन्हें भी हटाना चाहिए. प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के लिए तालाब में गोबर भी डाला जाता है और जैविक रासायनिक खाद कभी इस्तेमाल किया जाता है. तालाब को साफ रखना सबसे अहम काम में से एक है.
मछलियों की रुक जाएगी ग्रोथ
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि तालाब में जीरा डालने से 8 दिन पहले चूना का छिड़काव किया जाता है. चूना डालने से तालाब का पीएच मान संतुलित किया जाता है. जब तालाब में चूना डाल दें तो उसके बाद ही उसमें पानी का भराव करें. क्योंकि जब तालाब में पानी डाला जाता है तो उसे पानी का पीएच मान बहुत ज्यादा होता है और उसकी हार्डनेस ज्यादा होती है. ऐसे में 8 दिन पहले चूना डाल देने से पीएच मान और हार्डनेस को सही किया जा सकता है. यदि किसी भी मछली पालक ने एक ही समय पर पानी और उसी समय पर जीरा डाल दिया तो मछलियों की ग्रोथ नहीं हो पाएगी. ये भी हो सकता है कि उन्हें कई बीमारियां भी हो जाएं और इससे मृत्यु दर भी दिखाई दे.
चूना डालने के हैं कई फायदे
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि मछली का बीज यानी जीरा डालने से पहले चूना तालाब में डालने से पानी का पीएच मान 7.50 से लेकर 8.50 के बीच हो जाता है. इससे मछलियों की ग्रोथ अच्छी होती है. वहीं चूना डालने से घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा भी तालाब में बढ़ जाती है. इससे मछलियां बीमारियों से बची रहती हैं और समय पर तय वजन हासिल कर लेती हैं. जबकि चूना डालने का यह भी फायदा होता है कि तालाब की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व पानी में मिल जाते हैं.
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