नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए देश की तमाम राज्य सरकारें काम कर रही हैं. ताकि मछली पालन करके किसान अपनी आमदनी को दोगना कर सकें. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिसका फायदा उठाकर किसान मछली पालन का काम शुरू कर सकते हैं और अपनी इनकम को बढ़ा सकते हैं. अगर आप भी मछली पालन का काम शुरू करने का मन बना चुके हैं और आपके पास बजट नहीं है तो सरकार से आर्थिक मदद ले सकते हैं.
इस आर्टिकल में हम आपको मछली पालन की दो योजनाओं के बारे में जानकारी दे जा देने जा रहे हैं. जिसका फायदा उठाकर आप मछली पालन का काम शुरू कर सकते हैं. सरकार की ओर से ये दोनों योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिससे मछली पालन को बढ़ावा मिल सके और किसानों की इनकम डबल हो सके. बता दें कि सरकार ने बहुत पहले ही इस बात का ऐलान किया है कि वह किसानों की आय को दोगुना करेगी. कृषि पर निर्भर रहने वाले किसान अगर मछली पालन भी करें तो इससे उनका दोहरा फायदा हो सकता है. आईए जानते हैं दोनों योजनाएं क्या हैं.
सरकार करेगी आर्थिक मदद
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत राजस्थान में मत्स्य बीज हैचरी की स्थापना करने के लिए योजना चलाई जा रही है. जबकि मछली पकड़ने के तमाम सारे सामान नाव आदि को खरीदने के लिए भी योजना चल रही है. अगर आप मछली पालन में फ्राई फिश बीज का उत्पादन करना चाहते हैं तो मत्स्य बीह हैचरी की स्थापना के लिए सरकार से आर्थिक मदद ले सकते हैं. जबकि मछली पकड़ने का काम करना चाहते हैं तो आपको नाव अधिक खरीदने में सरकार की मदद करेगी.
मत्स्य बीज हैचरी लगाएं
निजी क्षेत्र में 2 हेक्टेयर में 10 मिलियन फ्राई मत्स्य बीज उत्पादन क्षमता की भारतीय मेजर कार्प मत्स्य बीज हैचरी निर्माण के लिए 25 लाख रुपए इकाई लागत तय की गई है. सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत यानि 10 लाख रुपए की मदद दी जाएगी. जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग और सभी महिलाओं व सहकारी समितियों को 60 फीसदी यादि 15 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी.
सरकार से पैसा लेकर खरीदें नाव
नाव, मछली के जाल, मछली व बर्फ रखने के बॉक्स आदि की खरीद पर सरकार की ओर से 5 लाख रुपए की लागत तय की गई है. सामान्य वर्ग के लोगों को इस लागत का 40 प्रतिशत यानि 2 लाख रुपए सरकार की ओर से दिया जाएगा. वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग और सभी महिलाओं व सहकारी समितियों को 60 फीसदी यानि 3 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा.
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