नई दिल्ली. मछली पालन एक फायदे का सौदा है. इसे करके लोग लाखों रुपये कमा रहे हैं. मछली पालन को सरकार बढ़ावा भी दे रही है. मछली पालन में अगर कुछ तकनीकों का सहारा लिया जाए और पूरी ट्रेनिंग हो तो फिर इससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल किया जा सकता है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको मछली पालन में जरूरी कुछ फैक्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसकी वजह से मछली का उत्पादन और ज्यादा हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि इस खबर को गौर से पढ़ें और मछली उत्पादन को बढ़ाएं.
तालाब में घुलने वाले ठोस पदार्थ भी एक महत्वपूर्ण कारक है. घुलने वाले ठोस पदार्थ के रूप में कई महत्वपूर्ण पोषक एवं खनिज पदार्थ होते हैं, जो कि मछली की बढ़वार में सहायक होते हैं. तालाब में मछली उत्पादन बनाने के लिए खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करते रहना चाहिए. जिससे घुलित ठोस पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है. मछली के प्राकृतिक भोज्य पदार्थों का उत्पादन बढ़ता है.
सूरज की रोशनी है जरूरी: सूरज का सीधा प्रकाश पाली जाने वाली मछलियों के व्यवहार एवं प्रोडक्शन को प्रभावित करता है. मछली के बीज को सूरज की रोशनी से बचाना चाहिए. वैसे जरूरी रोशनी के कारण मछलियों में आहरण ग्रहण क्षमता बढ़ जाती है. इसके अलावा पानी के अंदर रासायनिक गुण हर प्रकार से मछली को प्रभावित करते हैं. इसमें प्रमुख रूप से घुलित ऑक्सीजन कार्बन डाईऑक्साईड, पीएच, नाईट्राइट और अन्य प्रमुख है. पानी के अंदर घुलित ऑक्सीजन का कम होना सबसे बड़ी समस्या है. इस स्थित में अधिक कार्बन डाईआक्साइड, घटा हुआ पीएच, बढ़ा हुआ नाईट्राइट और अन्य समस्याओं का संयोग रहता है. पानी में ऑक्सीजन की घुलनशीलता जलीय तापमान, वातावरणीय दबाव और लवणता के ड्रेविटी प्रोपोर्शनालिटी होती है.
खतरा बढ़ जाता है: प्राकृतिक रूप से तालाब के जल में आक्सीजन प्राथमिक रूप से रोशनी की तरकीब, हवा के जरिए एवं आने वाले पानी के जरिए प्रवेश करती है. तालाबों के जल में आक्सीजन का उपयोग प्लवकों, मछली, सूक्ष्म जीवों के श्वसन, सडे़ गले पदार्थों के गलने और वातावरण में बंटने के कारण होता है. मछली के तालाब में अधिक आहार देने से जैव रसायन आक्सीजन मांग बढ़ जाती है. रुके हुए जल में पोषक तत्वों की जितनी अधिकता होगी उतना ही उधिक प्लवक घनत्य, सतह पर आक्सीजन उत्पादन, रात में आक्सीजन की कमी, रात−दिन के आक्सीजन परिमाण में परिवर्तन, वातावरणीय अस्थिरता, मछली पर वातावरणीय प्रभावों का खतरा इत्यादि अधिक होगा. अति पोषक तालाबों में प्लवकों का अचानक मर जाना एक बड़ी समस्या है. प्लवकों की मौत सामान्यतः गर्म, शांत एवं बरसात के मौसम में होती है. मरे हुए प्लवक बहुत जल्दी ही विघिटित होने लगते हैं. जिससे आक्सीजन का उपयोग बढ़ जाता है और आक्सीजन की कमी हो जाती है. इस कारण वायु कारकों का उपयोग करना चाहिए.
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