नई दिल्ली. अगर आप एक एकड़ में मछली पालन करते हैं तो सालाना 5 से 6 लाख रुपए आसानी के साथ कमा सकते हैं. मछली पालन में मछलियों की प्रजातियां का भी खास ख्याल रखा जाता है कि, किस प्रजाति की मछली का पालन किया जाए जिससे ज्यादा मुनाफा मिल सके. इसलिए मछली पालकों को हमेशा ही ऐसी मछलियों का चुनाव करना चाहिए जो ज्यादा उत्पादन करती हों और जिनका पालन ज्यादा फायदेमंद होता हो. अगर आप मछली पालन करने की सोच रहे हैं तो मृगल मछली से शुरुआत कर सकते हैं. यह मछली आपके लिए अच्छी कमाई का जरिया बन सकती है.
जानकारी के लिए बता दें कि मृगल मछली का पालन मुख्य रूप से भारत और बांग्लादेश में किया जाता है. मृगल कार्प की खेती पालीकल्चर प्रणालियों के एक घटक के रूप में की जाती है. इसके साथ कई तरह की कार्प मछलियों को एक साथ पाला जा सकता है. आमतौर पर उत्पादन तीन से पांच टन प्रति हेक्टेयर, प्रति साल होता है. जिसमें मृगल का योगदान लगभग 20 से 25 फीसद होता है. अच्छी बात यह है कि मृगल मछली 24 से 31 डिग्री सेल्सियस तापमान पर आसानी से प्रजनन कर जाती है और इसे आप आसानी के साथ तालाब में पाल सकते हैं.
अच्छा मिलता है दाम
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि मृगल मछली को अगर पालते हैं तो 150 से 200 रुपए प्रति किलो इसका दाम आसानी से आपको मिल सकता है. हालांकि मछली की ताजगी के आधार पर इसके रेट में बदलाव भी हो सकता है. ताजी मछली कुछ जगहों पर 200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है. बताते चलें कि मृगल मछली को लोकप्रिय खाद्य मछली के तौर पर गिना जाता है. इसी वजह से इसकी कीमत अन्य मछलियों के मुकाबले थोड़ा ज्यादा होती है और यह 200 रुपए प्रति किलो बाजार में आम ग्राहकों को मिलती है. मृगल मछली सिर्फ एक खाद्य विकल्प नहीं, बल्कि सेहत और संतुलन का प्रतीक है. यह कम कैलोरी में जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती है और जलवायु के अनुकूल होकर टिकाऊ मत्स्य पालन को बढ़ावा देती है. स्वाद, सेहत और पर्यावरण का एक साथ ख्याल रखने वाली ये मछली है.
क्या है मृगल मछली की खासियत
मृगल मछली की खासियत यह भी है कि इसमें प्रोटीन का अच्छा सोर्स होता है. जिन्हें प्रोटीन की जरूरत है वह मृगल मछली को चुन सकते हैं. बता दें कि मृगल मछली की यह भी खासियत है कि इसके अंदर हैल्दी फैट होता है और ओमेगा 3 की भरपूर मात्रा होती है, जो खाने वाले को फायदा पहुंचाती है. अगर आप मछलियों में एक आइडियल आहार तलाश कर रहे हैं तो मृगल मछली को चुन सकते हैं. क्योंकि कम कैलोरी के साथ यह आदर्श आहार के तौर पर जानी जाती है. वहीं जलवायु और पर्यावरण के लिए अनुकूल भी मानी जाती है.
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