नई दिल्ली. जिस तालाब में मछली पलती है. उसके पानी में कई रासायनिक गुण होते हैं. ये रासायनिक गुण मछली को प्रभावित करते हैं. इसमें कार्बन डाईआक्साइड से लेकर पीएच और कुल क्षारकता भी होती है. अगर मत्स्य पालकों को इनके बारे में जानकारी न हो तो फिर उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है. उत्पादन प्रभावित होने के मतलब ये है कि अब मछली पालन से फायदा नहीं होगा उल्टा नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए जरूरी है कि पशुपालकों पानी के तमाम गुणों की जानकारी हो कि किस तरह का असर वो मछली पर डालते हैं.
पानी के अंदर कार्बन डाईआक्साइड की घुलनशीलता केवल 0.50 मिली ग्राम प्रति लीटर होती है. तालाब में कार्बन डाईआक्साइड का उपयोग मुख्य तौर पर फोटो सेंथेसिस (प्रकाश संश्लेषण) द्वारा होता है. तथा इसकी कम उपलब्धता प्रकाश संश्लेषण को सीमित कर सकती है. कार्बन डाईआक्साइड तालाब के पानी में अस्थाई रुप से बाई कार्बोनेट के रूप में इकट्ठा रहती है और मिट्टी में उपलब्ध कार्बोनेट के साथ रिएक्शन से बनती है. स्थिर तालाब में सूरज निकलने के वक्त कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा ज्यादा रहती है.
इस तरह कम करें कार्बन डाईआक्साइड की गैरजरूरी मात्रा
एक्सपर्ट कहते हैं कि बादलों से भरे मौसम में तथा प्लवकों की मृत्य के दौरान आसाधरण रूप से कार्बन डाईआक्साइड की गैर जरूरी मात्रा बढ़ जाती है. कार्बन डाईआक्साइड की गैरजरूरी मात्रा को कम करने तथा इस पर नियंत्रित करना भी जरूरी है. इसे फिक्स करने के लिए जल में कुल क्षारकता 20 मिली ग्राम प्रति लीटर से अधिक रखें. पानी को मिश्रित करने के लिए हवा कारकों का प्रयोग करें. तालाब में ताजे पानी को डालकर तथा पुराने पानी को निकाल कर कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा को कम करें. तालाब में कैल्शियम होईड्राक्साइड का प्रयोग करे.
ज्यादा क्षरकता मछलियों के लिए नुकसानदेह
तालाब के पानी का पीएच उसकी अम्लीयता या क्षारीयता को दिखाता है. तालाब में पीएच हर दिन रूप से बदलता है. मुख्य रूप से कार्बन डाईआक्साइड की कंसंट्रेशन, पादप प्लवक धनत्व phytoplankton density तथा कुल क्षारकता तथा कठोरता से प्रभावित करता है. 80-150 मिलीग्राम प्रति लीटर कुल क्षारकता वाले जल का साफ मौसम में सूर्योदय के समय पीएच 7.0 0.5 से 9.7 0.5 तक होता है. जो मछली के लिए तनावकारी है. ज्यादा क्षारकता वाले जल में पीएच 11 तक हो सकता है जो कि मछलियों के लिए असहनीय है. कम क्षारकता 20 मि०ग्रा० प्रति लीटर वाला जल मत्स्य पालन के लिए अच्छा नहीं होता है.
इस तरह करें उपचार
यह इतना अम्लीय होता है कि मत्स्य उत्पादन पर नकारातमक प्रभाव डाल सके. कम कार्बन डाईआक्साइड तथा बाईकार्बोनेट के कारण प्लवको का उत्पादन सीमित कर सकें आदि. पीएच में वहुत परिर्वतन होने से जल की गुणवता अस्थिर रहती है. तथा मछलियां तनाव में रहती हैं. यदि तालाब के जल को पीएच अम्लीय है तो मत्स्य पालन श्रेणी के चूने का प्रयोग करना चाहिए. बुझा हुआ चूना एवं बुझा चूना काफी तेज काम करता है. तथा अधिक अम्लीय जल को जल्दी कमजोर कर देते लेकिन ये अधिक महंगे तथा मत्स्य पालक एंव मछली के लिए दोनों को खतरनाक होते है. चूना तालाब की तल की मृदा या पूरे जल स्थल पर समान रूप से छिड़कना चाहिए.
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