दिल्ली.भाकृअनुप-केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा अनुसंधान संस्थान (सीआईएफई), मुंबई ने उत्पादन योग्य समुद्री भोजन के विकास के लिए सेलुलर जलीय कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए रिसर्च करने की पहल की है. इसके लिए भाकृअनुप के महानिदेशक डॉक्टर हिमांशु पाठक ने सीआईएफई, मुंबई में नई रिसर्च के निए नई रिसर्च करने की मंजूरी दे दी है.
सेल्युलर एक्वाकल्चर दुनिया में उभर रहा
पिछले कुछ वर्षों में वास्तविक मांस के विकास का महत्व काफी बढ़ा है इसलिए मांस पर निवेश पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना हो गया है. इससे समुद्री खाद्य उत्पादन की दिशा में अधिक खोज और विकास की आवश्यकता बढ़ गई है. उत्पादित मांस को बाज़ार तक पहुंचाने और वृद्धि के लिए अकादमिक शोध अनिवार्य माना है. सेल्युलर एक्वाकल्चर दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण जलवायु अनुकूल खाद्य उत्पादन प्रणालियों में से एक के रूप में उभर रहा है. इसलिए, सेल्युलर जलीय कृषि को सुविधाजनक बनाने के लिए उपयुक्त मछली प्रजातियों के मांसपेशी के प्रकार में उचित विकास एवं लक्षण वर्णन समय की मांग है.
डॉक्टर एम गोस्वामी को मिली कमान
सीआईएफई, मुंबई गुड फूड इंस्टीट्यूट,यूएसए द्वारा वित्त पोषित “मछली की मांसपेशियों के इन विट्रो को अलग-अलग और लक्षण वर्णन और पूरे कटे हुए समुद्री भोजन के लिए पौधे-आधारित मंच पर अनुकूलन” नामक एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना का नेतृत्व कर रहा है. इस परियोजना का नेतृत्व डॉक्टर एम गोस्वामी, प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख, मछली जेनेटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग, सीआईएफई, मुंबई ने किया है. यह पहली बार है कि किसी भारतीय वैज्ञानिक को सेलुलर जलीय कृषि पर शोध करने के लिए इस प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय अनुदान प्राप्त हुआ है.
खाद्य सुरक्षा से जुड़े खतरों की पहचान की
भाकृअनुप-मुंबई ने समुद्री खाद्य उत्पादों के व्यवसायीकरण के लिए दो उद्योगों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. 15 देशों के 24 विशेषज्ञों के एक समूह ने 1-4 नवंबर, 2022 तक सिंगापुर में एकत्र हुए सेल-आधारित खाद्य पदार्थों से जुड़े खाद्य सुरक्षा खतरों की पहचान की. यूएनओ-एफएओ ने विशेषज्ञ आधारित परामर्श बैठक के लिए डॉ. एम. गोस्वामी को एक विशेषज्ञ के रूप में मान्यता दी. ब्ल्यूएचओ के सहयोग से सिंगापुर में सेल आधारित खाद्य उत्पादों का आयोजन किया गया. “17वें” विशेषज्ञ परामर्श बैठक का वैश्विक प्रभाव, प्रयोगशाला में विकसित मांस की खपत के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीओ) की मंजूरी से देखा गया.
Leave a comment