नई दिल्ली. बकरी पालन के फायदेमंद व्यवसाय है, जो बहुत से ग्रामीण इलाके के लोगों की आय का स्रोत बनता जा रहा है. किसानों की आय को भी बढ़ाता है. हालांकि यह तभी संभव हो सकता है कि जब बकरी सेहतमंद रहे और उससे जो उत्पादन लिया जा रहा है, इसके लिए बकरियों को बीमारियों से बचाना होगा. यदि बकरियां बीमारी से बची रहेंगी तो अच्छा उत्पादन होगा. यहां हम सात बीमरारियों का जिक्र कर रहे हैं और उसके इलाज के बारे में बता रहे हैं.
मुंहपका खुरपका
मुंहपका खुरपका बकरी के मुंह के छालों में बोरो ग्लीसिरीन दवा या मरहम लगाना चाहिए. इसके अलावा नीले थोथे का घोल या लाल दवाई से करना चाहिए. पशु चिकित्सा की राय है के अनुसार चार से पांच दिन पर एंटीबायोटिक इंजेक्शन का लगाना चाहिए. बचाव के लिए 6 महीने के अंदर मार्च अप्रैल तथा सितंबर अक्टूबर में बकरियों का टीका जरूर लगाए.
निमोनिया
बकरियां में जब निमोनिया हो जाए तो 3 से 5 मिलीलीटर एंटीबायोटिक दवा तीन से पांच दिन तक देना चाहिए. खांसी के लिए कैफलोन पाउडर 6 से 12 ग्राम रोजाना 10 दिन तक देना चाहिए.
अफारा
यदि बकरी को अफारा हो जाए तो बकरी को चारा व पानी देना तुरंत बंद कर देना चाहिए.. बकरी को अफारा होने पर एक चम्मच खाने का सोडा या टिम्पोल पाउडर 15 से 20 ग्राम दें. इसके अलावा एक चम्मच तिल का तेल व जैतून के तेल 150 से 200 मिली लीटर पिलाना चाहिए.
पेट के कीडे़
बकरी के पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए अल्बोमार 2 से 3 एमएल 10 किलोग्राम बकरी के वजन के अनुसार केवल रात के समय देनी चाहिए. यह दवा तीन माह में एक बार देनी है. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यह दावा गर्भवती बकरी को नहीं देनी है.
चर्म रोग
चर्म रोग हो जाने पर पशु चिकित्सक के अनुसार इंजेक्शन आइवरमेक्टिन चमड़ी में लगाएं. बकरियों के जख्मों को लाल दवाई से धोएं और जख्मों पर हिमेक्स मलहम लगाएं.
पेट दर्द और गैस
बकरी को पेट दर्द और गैस की समस्या होने पर आपको उन्हें नींबू पानी और अदरक का जूस देना चाहिए.
दस्त
बकरी को दस्त होने पर आपको उन्हें दही और छाछ खिलाना चाहिए. इसके अलावा बकरी को एंटीबायोटिक दवा भी जा सकती है.
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