नई दिल्ली. मछलियों के सस्ता और आसानी से चारा उपलब्ध मुहैया कराना मुश्किल हो गया है. चारा लगातार महंगा होता जा रहा है इसलिए ओडिशा में छोटे और सीमांत किसाना के लिए नियमित और सस्ता चारा एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहा है, जिससे मछली पालकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. मछली पालकों की इसी समस्या का समाधान करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और केन्द्रीय खारा जल जीवपालन संस्थान यानी भाकृअनुप-सीबा चेन्नई ने मैसर्स श्री कृष्णा फीड्स के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. इस कदम से मछली पालकों को समय पर और उचित दरों पर फीड मुहैया हो सकेगा.
फ़ीड की प्लस श्रृंखला के रूप में ब्रांडेड किया
चारा महंगा है और ओडिशा में छोटे और सीमांत किसानों के लिए चारे की नियमित उपलब्धता बड़ी चुनौती बनी हुई है. पिछले पांच वर्षों में सीबा में केन्द्रित अनुसंधान प्रयासों के परिणामस्वरूप सीबा झींगा और मछली फीड का विकास हुआ है और फ़ीड की प्लस श्रृंखला के रूप में ब्रांडेड किया गया है.
इस कंपनी के साथ किया एमओयू साइन
भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल जीवपालन संस्थान (सीबा), चेन्नई ने 17 जनवरी 2024 को स्वदेशी मछली और झींगा आहार के उत्पादन के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत मेसर्स श्री कृष्णा फीड्स, ओडिशा के साथ स्वदेशी झींगा और मछली फ़ीड के फॉर्मूलेशन, प्रसंस्करण और उत्पादन पर परामर्श सेवाओं के लिए एक रणनीतिक गठबंधन बनाया.भाकृअनुप-सीबा ने मैसर्स श्री कृष्णा फीड्स के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं.
इसलिए महंगा है फीड
मछली विशेषज्ञों की मानें तो ओडिशा में मछलियों के लिए प्रयोग किए जाने वाला मछली का चारा ज्यादातर मल्टीनेशनल कंपनियों या कहें तो विदेशी सलाहकारों के प्रौद्योगिकी समर्थन के साथ कॉर्पोरेट फीड मिलों से आ रहा है. यही कारण है कि ये चारा बहुत ही महंगा है और ओडिशा में छोटे और सीमांत किसानों के लिए चारे की नियमित उपलब्धता बड़ी चुनौती बनी हुई है.
पांच वर्षों की मेहनत के बाद आया परिणाम
फीड को लेकर लगातार आ दिक्कतों को देखते हुए पिछले पांच वर्षों में सीबा में केन्द्रित अनुसंधान प्रयासों के परिणामस्वरूप सीबा झींगा और मछली फीड का विकास हुआ है. इतना ही नहीं फ़ीड की प्लस श्रृंखला के रूप में ब्रांडेड किया गया है. यही कारण है कि भाकृअनुप-सीबा ने मैसर्स श्री कृष्णा फीड्स के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया, जिससे ओडिशा के किसानों की इस समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकेगा.
भविष्य में आएंगे बेहतर परिणाम
सीबा के निदेशक, डॉक्टर कुलदीप कुमार लाल ने बताया कि यह प्रयास निस्संदेह आर्थिक लाभ में सुधार करेगा, लंबे समय में एक्वा-फीड क्षेत्र में नवाचार और विकास, स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता में योगदान देगा.वहीं श्री कृष्णा फीड्स के सीईओ, श्री कृष्णा चंद्र घदाई ने एमओयू से अपेक्षित परिणाम आने के बारे में बात कही.प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख पोषण जेनेटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग और फ़ीड प्रौद्योगिकी के टीम लीडर डॉक्टर के. अंबाशंकर ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अनुरूप पहल की उत्पत्ति के बारे में बताया.
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