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Fisheries: जानें मछली पालन में क्या हैं राजस्थान के पास साधन, किन प्रजातियों को पाल रहे फिश फार्मर

राजस्थान में उपलब्ध जल संसाधनों में लगभग 150-160 मछली की प्रजातियां पाई जाती हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. देश के हर राज्य में आज मछली पालन हो रहा है. राजस्थान क्षेत्रफल के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य है. यहां बारिश उतनी अच्छी नहीं होती है, जितनी उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में होती है. राजस्थान में औसत बारिश का अनुमान 57 से.मी. है. यहां के जलाशयों, तालाबों और अन्य स्थानों में मछली पालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. मछली पालक यहां कई तरह की मछलियां पाल रहे हैं. जैसे कि मछली पालन में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए फिश एक्सपर्ट मछली किसानों को मिश्रित मछली पालन करने की सलाह देते हैं. मिश्रित मछली पालन में देशी मछलियों जैसे कत्ला, रोहू और मृगल के साथ अगर विदेशी मछलियों को भी पाला जाए तो मुनाफा अच्छा खासा कमाया जा सकता है. ठीक उसी तर्ज पर राजस्थान में मछली पालन किया जा रहा है.

मिश्रित मछली पालन के लिए तालाब का पानी क्षरीय रखना बेहद जरूरी होता है. जिससे मछलियां ज्यादा ग्रोथ हासिल करें और यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है. आइये जानते हैं कि राजस्थान में कितनी प्रकार की मछलियों को पाला जा रहा है.

राजस्थान में मछली संसाधन: राजस्थान में उपलब्ध जल संसाधनों में लगभग 150-160 मछली की प्रजातियां पाई जाती हैं. मछली पालन में आने वाली मछलियों को मत्स्य विभाग ने कई समूहों में बांटा है. मेजर कार्प (कतला: कतला कतला, रोहू,: लेबियो रोहू, नरेन: सि. मृगला, कलौट: लेबियो काल्बासु, ममोला: लेबियों फिम्ब्रिएटस एवं सरसी: लेबियो गोनियस),

माइनर कार्प (बाटा: लेबियो बाटा, मलवाः एम्लीफेरिंगोडॉन मोला, रुइया: लेबियो बोगा, दूधिया : लेबियो बोगट, गुरदी: लेबियो डेरो, खराटा: पुंटियस प्रजातियां एवं महासीरः टोर प्रजातियां), विदेशी कार्पस (कॉमन कार्प: सि. कार्पियो, सिल्वर कार्पः (एच. मोलिट्रिक्स और ग्रास कार्पः सी. इडेला),

कैट फिश (बगेरिअस बगेरिअस, वेलेगो अट्टू एवं पंगेशियस प्रजाति) तथा अन्य मछलियों में तिलापिया मुख्य हैं.

राज्य के खारे पानी में झींगा: लिटोपेनियस वेनामि, मिल्क फिश (चानोस चानोस) और भेटकी (लेट्स कैल्केरिफर) इत्यादि का पालन भी किया जाता है.

राजस्थान में उपलब्ध जल संसाधनों कुछ इस प्रकार हैं.

  1. बड़े जलाशय (5000 हेक्टेयर से अधिक) 13 हैं, जो 190324 हेक्टेयर में हैं.
  2. मध्यम जलाशय (1000-5000 हेक्टेयर) की संख्या 35 हैं, जो 64151 हेक्टेयर में हैं.
  3. छोटे जलाशय (10-1000 हेक्टेयर) की संख्या 2388 हैं, जो 145823 हेक्टेयर में फैले हैं.
  4. तालाब और टैंक (1-10 हेक्टेयर) 6207 हैं ये 25519 हेक्टेयर में हैं.
  5. तालाब और टैंक (1 हेक्टेयर से कम) 6913 हैं और ये 4747 में फैले हैं.
  6. नदियां और नहरें (5290 कि.मी.) 70 हैं, जो 30000 हेक्टेयर में हैं.

कुल 15626 जल संसाधन हैं जो कुल 460564 हेक्टेयर में फैले हुए हैं.

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