Home पशुपालन पराली जलाने से पैदा हो रहा चारा संकट, सरकार की इन बातों को मानेंगे तो न चारा कम होगा और न अनाज
पशुपालन

पराली जलाने से पैदा हो रहा चारा संकट, सरकार की इन बातों को मानेंगे तो न चारा कम होगा और न अनाज

Stubble News, Supreme Court, parali news
पराली जलाने का प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. पराली जलाने पर सु्प्रीम कोर्ट से लेकर सरकारें तक सख्त रुख अपनाए हुए हैं. अब गेहूं की कटाई शुरू होने वाली है. कंबाइन से कटाई के बाद खेतों में ही फसल क अवषेष जला देते हैं. हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद से इसमें कुछ हद तक कमी भी दर्ज की गई है.कृषि विशेषज्ञों की मानें तो पराली जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण, जमीन की उर्वरता आगजनी खराब होने के साथ ही आगजनी का भी खतरा बढ़ जाता है, जिससे पशुओं के चारे का भी संकट पैदा हो जाता है. इसलिए सरकार इसे लेकर लगातार जागरूक भी कर रही है. जागरूक लोगों का कहना है कि अगर आप पराली जला रहे हैं तो अपनी किस्मत को खाक कर रहे हैं. सरकार तो फसल अवशेष को सहजने के लिए अनुदान पर कृषि यंत्र कंपोस्टिंग के बायो डी कंपोजर भी मुहैया करा रही है. पशुपालकों को ये भी जान लेना चाहिए कि जहां एक ओर पराली जलाने के तमाम नुकसान हैं. वहीं पशुओं के लिए खेत कटाई के बाद खाने को कुछ नहीं बचता है, जबकि पहले कई कई दिन तक पशु खाली खेत में अपना पेट भरते थे. इसलिए भी पराली जलाना पशुओं के लिए नुकसादेह है.

वाहनों की अधिकता के कारण वैसे ही पर्यावरण बहुत प्रदूषित हो चुका है. ऐसे में पराली जलना लोगों के लिए और भी खतरनाक साबित हो रहा है. अगर गेहूं की कटाई के बाद खरीफ की अगली फसल लेने के लिए सोच रहे हैं अवशेषों को जलाने की सोच रहे हैं तो ऐसे किसान खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर डंठल के जलने के साथ ही फसल के बेहद जरूरी पोषक तत्व जैसेजरूरी पोषक तत्व जैस नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया जल जाते हैं. इतना ही नहीं इन डंठलों से भूषा भी खत्म हो रहा है.

डंठलों में होते हैं उर्वरक तत्व
अनुसंधान से पता चला है कि बचे हुए डंठलों में एनपीके की मात्रा क्रमश: 0.5, 0.6 और 1.5 फीसद होती है. अगर इन्हें जलाने की वजाय खेत में ही इनकी कंपोस्टिंग कर दी जाय तो मिट्टी को एनपीके की क्रमश: 4 , 2 और 10 लाख टन मात्रा मिल जाएगी. इतना ही नहीं जमीन के कार्बनिक तत्वों बैक्टिरिया फफूंद का बचना ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण संरक्षण के बेहद अच्छा होगा. इतना ही नहीं अगर किसान ऐसा करते हैं तो उन्हें अगली फसल में करीब 25 फीसदी तक खेती की लागत में कम आ जाएगा और फसल का उत्पादन भी बढ़ जाएगा.

रिपोर्ट में हैं कई चौकाने वाले खुलासे
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर एनवायरमेंटल एक्शन ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार प्रति एकड डंठल जलाने पर पोषक तत्वों के अलावा 400 किलोग्राम उपयोगी कार्बल, प्रतिग्राम मिट्टी में मौजूद 10-40 करोड़ बैक्टीरिा और 1-2 लाख फफूंद जल जाते हैं. उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के पूर्व जोनल प्रबंधक डॉक्टर बीके सिंह के अनुसार प्रति एकड़ डंठल से करीब 18 क्विंटल भूसा बरता है. सीजन में भूसा 400 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक जाता है. इस तरह से हम एक एकड़ के डंठल जलाने पर 7200 रुपये का भूसा नष्ट कर रहे हैं. इतना ही नहीं हम खुद ही चारे का संकट पैदा कर रहे हैं.

डंठल न जलाएं बल्कि ये करें उपाय
डंठलों को जलाने की बजाय खेत की गहरी से जुताई कर सिंचाई कर दें. शीघ्र सड़क के लिए प्रति एकड़ पांच किलो यूरिया छिड़क दें. सरकार का प्रयास है कि वह ऐसे प्लांट लगाए जिनमें पराली से बायो कंप्रेस्ड गैस और बेहतर गुणवत्ता की कंपोस्ट खाद बने. हाल ही में गोरखपुर के धुरियापार में एक ऐसे ही प्लांट का उद्घाटन हो चुका है. केंद्र सरकार की मदद से उत्तर प्रदेश में ऐसे 100 प्लांट लगाने की प्लानिंग है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

animal husbandry news
पशुपालन

Animal Husbandry: जानें डेयरी फार्म में कैसे काम करता है हैंड लॉक सिस्टम, पढ़ें इसके क्या हैं फायदे

एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुपालन में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए...

langda bukhar kya hota hai
पशुपालन

Animal News: PAU की एडवाइजरी के मुताबिक पशुओं को ठंड से बचाने के लिए ये काम करें पशुपालक

आमतौर पर पशुओं की देखभाल कैसे करना है और किस मौसम में...

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: क्या पशुओं को दे सकते हैं वनस्पति घी, देने का सही तरीका और फायदा, जानें यहां

उसे पेट से संबंधित से कोई प्रॉब्लम नहीं है तो इसका मतलब...