नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले किसानों के सामने हमेशा ही एक सवाल रहता है कि वह कौन सा चारा पशुओं को खिलाएं जिससे उन्हें ज्यादा उत्पादन मिले. क्योंकि पशुपालन करने वाले किसानों का मुनाफा पशुओं के उत्पादन पर ही निर्भर करता है. पशु अगर ज्यादा उत्पादन करेंगे तो उन्हें ज्यादा फायदा होगा. यदि पशु उत्पादन कम कर देंगे तो इससे पशुपालकों को सीधे तौर पर नुकसान होगा और उनका पशु पालन के लिए जो खर्च है वह भी नहीं निकल सकेगा. इस वजह से हम यहां आपके लिए यूरिया भूसा की बात कर रहें जो पशुओं खिलाने से दूध उत्पादन बढ़ा देता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि गर्मी के मौसम में गाय और भैंस का दूध उत्पादन कम हो जाता है. दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन को औसत से बेहतर बनाए रखने के लिए शाम के समय चारा पानी के बाद 200 से 300 ग्राम सरसों का तेल, 250 ग्राम गेहूं के आटे का मिश्रण खिलाना चाहिए. दवा को भोजन के दौरान या भोजन के तुरंत बाद पशुओं को देना चाहिए. इस घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल करने से सात आठ दिनों में दूध का उत्पादन बढ़ सकता है. साथी पशुओं को यूरिया वाला भूला भूसा खिलाने की सलाह दी जाती है.
उचारित भूसा खाने का ये भी है फायदा: यदि हरा चारा पर्याप्त मात्रा में ना हो तो यूरिया उपचारित सूखा चारा दूध उत्पादन के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है. उपचार के बाद सूखा चारा में प्रोटीन की मात्रा तीन से चार प्रतिशत से बढ़कर 7 से 8 फीसदी हो जाती है. उपचारित चारा खिलाने से पशुओं के पेट में सूक्ष्म जीवों की सक्रियता एवं संख्या में भी इजाफा होता है. उचारित रेशे में रेशा मुलायम एवं लचीला हो जाता है. तथा इसकी पाचन शक्ति ज्यादा बढ़ जाती है. उपचारित भूसा खिलाने से पशुओं की जीवन संबंधित सभी आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो जाती है. विशेषज्ञ कहते हैं इसके अलावा दुधारू पशुओं से लगभग 3 लीटर दूध प्राप्त किया जा सकता है. इसके अलावा दो से ढाई लीटर दूध पर पांच से छह किलो हरा चारा फलियां गेर फलियां या एक किलो संतुलित आहार खिलाना चाहिए.
क्या है उचारित करने का सही तरीका:100 किलोग्राम सामान्य भूसे या सूखा फसल अवशेषों को 4 किलोग्राम यूरिया में उपचारित करें. 4 किलोग्राम यूरिया को 50 लीटर पानी में घोलने और 100 किलोग्राम हिस्से पर अच्छी तरह से छिड़काव कर लें. उपचारित भूसे को पैर से दबाकर पक्के फर्श पर या पॉलीथीन की चादर पर चट्टे के रूप में ढेर बना लेना चाहिए. जिससे बीच की हवा निकल जाए और अच्छी तरह से ढककर उसे छोड़ देना चाहिए. जिसमें अमोनिया गैस बाहर न निकले. भूसा गीला होने पर भी यूरिया से उत्पन्न अमोनिया जैसे छार की उपस्थिति में खराब हो नहीं होता है. उपचारित चारे का प्रयोग उपचार के तौर पर 7 से 10 दिन के बाद और ठंड में 10 से 15 दिन बाद शुरू किया जा सकता है. खिलाने के अनुसार ही भूसा निकालना चाहिए. इसे कुछ समय के लिए खुले में छोड़ देना चाहिए.
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