नई दिल्ली. खुरपका-मुंहपका बीमारी की बात की जाए तो ये एक उच्च संक्रामक वायरस से होने वाली बीमारी है. ये बीमार पशुओं के संपर्क में आने से, गंदा पानी पीने से, हवा और चारे के माध्यम से फैलती है. इसलिए पशुओं के चारे और पानी पर खास ध्यान देना चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक वयस्क पशुओं के लिए यह रोग कभी-कभी होता है लेकिन गायों और भैंसो में अक्सर हो जाता है. बताते चलें कि इससे पशुओं दूध उत्पादन व प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है. वहीं बैलों में भारवाहक क्षमता को ये बीमारी कम कर देती है. इसलिए वक्त पर इसका इलाज करना जरूरी होता है.
बछड़ा व बछडियों में यह आमतौर पर खतरनाक माना जाता है. यह भेड़ व बकरी और अन्य पशुओं को भी प्रभावित करता है. इसके चलते दूध उत्पादन व कार्यक्षमता में बेहद कमी आ जाती. इससे पशुपालकों को नुकसान का सामना करना पड़ता है. आइए इस बीमारी के बारे में डिटेल से जानते हैं.
क्या हैं लक्षण
- बुखार, नाक से पानी जैसा स्राव और अत्यधिक लार गिरना.
- जुबान, दांतों, होंठ और मसूड़ों इत्यादि में छाले होना आम सी बात है. पैर के खुर के बीच में छाले होने से लंगड़ापन हो सकता है.
- निपल में में छाले होने से थनैला हो सकता है.
- पशुओं की खराब हालत पशुओं के ठीक होने भी बनी रहती है.
रोकथाम कैसे करें
- 4 माह या उससे अधिक आयु के सभी पशुओं को 6 माह में एक बार टीकाकरण कराएं.
- संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से तुरंत अलग रखना चाहिए क्योंकि संक्रमित पशुओं के शरीर से निकलने वाले स्राव, गोबर, पेशाब में वायरस होते हैं.
- संक्रमित पशुओं के संपर्क में आए सभी आहार व हरे-सूखे चारे को नष्ट कर देना चाहिए.
- संक्रमित पशुओं के लिए प्रयोग किए हुए सभी उपकरणों को साफ करके 4 फीसदी सोडियम कार्बनिट के घोल या पशु चिकित्सक द्वारा बताए गए घोल में कीटाणुरहित करना चाहिए.
- जो व्यक्ति संक्रमित पशुओं की देखभाल करता हो उसे स्वस्थ पशुओं से दूर रहना चाहिए ।
- संक्रमित जगह को 4 फीसदी सोडियम कार्बोनेट के घोल या पशु चिकित्सक के द्वारा बताए गए घोल से कीटाणुरहित करना चाहिए ।
- भेड़, बकरी और सुअरों को टीका लगाने से रोग नियंत्रित हो पाएगा.
- संबंधित अधिकारियों को शीघ्र सूचना देने से उन्हें रोग नियंत्रण के लिए शीघ्र आवश्यक कार्रवाई करने में मदद मिलेगी. जिससे रोग के फैलाव को कम या सीमित करने में मदद मिलेगी.
खुरपका मुंहपका का मैनेमेंट
- इसका केवल लाक्षणिक (सिप्टोमैटिक) उपचार संभव है. घावों के दर्द को कम करने के लिए उन पर इमोलिएंट लगाएं.
- उपयुक्त सलाह के लिए पशु-चिकित्सक से संपर्क करें.
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