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Disease: बचा हुआ खाना खिलाने से पशुओं को होती है ये बीमारी, ऐसे पहचानें लक्षण, ये है उपचार का तरीका

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुपालन में सबसे ज्यादा दिक्कत पशुओं की बीमारी के कारण होती है. पशु अगर बीमार पड़ जाते हैं तो उनकी सेहत खराब हो जाती है. सेहत का असर प्रोडक्शन पर पड़ता है. जब पशु प्रोडक्शन करना बंद कर देते हैं तो पशुपालकों को तिहरा नुकसान उठाना पड़ जाता है. एक तो पशु के फीड का खर्च रहता ही है, दूसरा बीमारी को ठीक करने के लिए अतिरिक्त खर्च करना होता है. वहीं प्रोडक्शन न होने की वजह से भी नुकसान होता है. इसलिए पशुपालक कभी भी नहीं चाहते हैं कि उनके पशु बीमार हों.

एक्सपर्ट का कहना है कि बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए जरूरी है कि पशुपालकों को के पास वो सब जानकारी हो, जिससे पशुओं को बीमारी से बचाया जा सके. इसके लिए सबसे जरूरी चीज वैक्सीनेशन है. इसके अलावा बीमारियों की जानकारी होना भी जरूरी होता है. ऐसा होने से बीमार पशुओं को जल्द से जल्द ठीक किया जा सकता है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको पशुओं की ऐसी बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं जो चारा खाने की वजह से होती है. आइए इसकी डिटेल जानते हैं.

इन पौधों की वजह से भी होता है
एक्सपर्ट का कहना है कि ब्लोट अपच का ही एक प्रकार है, जिसमें रूमेन में गैस का संचय ज्यादा मात्रा में हो जाता है. जब पशु हरे नरम घास को चारे के रूप में खाते हैं तो विशेष रूप से गीले चारे को, तब ब्लोट होने की संभावना होती है. कुछ पौधे जैसे क्लोवर, ल्यूर्सन, और अल्फा-अल्फा (रिजका) इत्यादि ब्लोट होने के लिए खतरनाक है लेकिन तेज ग्रोथ वाले पौधे भी इनके कारक हैं. गैर जरूरी पदार्थ की वजह से अफरा हो सकता है. जिससे गैस का उत्सर्जन नहीं होगा और रूमेन में गैस भर जाएगा. कभी-कभी बचे हुए खाने को खिलाने से जैसे कि सूखी हुई रोटी खिलाने से भी अफरा हो सकता है.

अफरा के लक्षण क्या हैं

  • बायीं कोख फूल जाती है.
  • पशु अपने पेट पर लात मारता है या फिर पिछले दोनों पैरों को फैलाकर खड़ा होता है.
  • सांस लेने में कठिनाई होती है.
  • प्रचंड रूप में आने पर दम घुटने की वजह से पशु की मृत्यु हो जाती है.

रोकथाम और उपचार

  • सुबह के समय पशु को गीले चारागाह में न जाने दें.
  • चारागाह में पशु को भेजने से पहले कुछ सूखा व हरा चारा खिलाना चाहिए.
  • घातक होने पर बायीं कोख में तेज धार वाले चाकू से छिद्र कर दें, जिससे कि गैस निकल जाए, ये जल्दी करना जरूरी है, संकोच करने पर पशु मर भी सकता है.
  • वयस्क पशुओं के लिए घरेलू उपचार 300-500 मिली दिन में एक बार 2 से 3 दिन तक नारियल/ वनस्पति/ मूंगफली का तेल पिलाएं या उपर्युक्त उपाय के साथ 30-40 मि.ली. तारपीन का तेल पिलाएं.
  • या आधे लीटर पानी में एक चम्मन डिटरजेंट पाउडर घोलकर पिलाएं. या 4-6 केले के पत्ते खिलाएं.

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