नई दिल्ली. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की ओर से 14 मार्च को लुधियाना में आयोजित पशु पालन मेले में राज्य के चार प्रगतिशील पशुपालकों को मुख्यमंत्री अपने हाथों से सम्मानित करेंगे. विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह बराड़ के मुताबिक विश्वविद्यालय अपने विस्तार प्रोग्रामरों को मजबूत करके राज्य में पशुधन क्षेत्र के विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. इसके तहत विभिन्न पशुपालकों को प्रेरित करने के लिए, विश्वविद्यालय विभिन्न श्रेणी के पशुधन पालन प्रणालियों की उत्पादकता और लाभप्रदता में सुधार के लिए इन प्रौद्योगिकियों को अपनाने की सीमा और प्रभाव का आकलन करके नवीन प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है.
इस प्रतिक्रिया में विश्वविद्यालय को कई आवेदन प्राप्त हुए हैं. डीन और निदेशकों सहित विशेषज्ञों की एक समिति ने प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले पशुधन किसानों का दौरा किया और कुल कृषि प्रणाली का मूल्यांकन किया है. अंतिम निर्णय के बाद विश्वविद्यालय ने विभिन्न श्रेणियों में विजेताओं के नामों की घोषणा की. ये पहली बार होगा कि कोई किसी महिला को सीएम आवार्ड से नवाजा जाएगा.
हर दिन 150 लीटर दूध का होता है प्रोडक्शन
भैंस की कैटेगरी में दलजीत कौर तूर पत्नी स्व.गुरमीत सिंह तूर निवासी गांव खोसा कोटला, डाकघर खोसा रणधीर, जिला मोगा को पुरस्कार के लिए चुना गया है. वह इस विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली विभिन्न पशुधन श्रेणियों में मुख्यमंत्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला किसान होंगी. बता दें कि पारंपरिक डेयरी फार्मिंग से, दलजीत कौर का परिवार गांव से बाहर चला गया और 2019 में एक आधुनिक डेयरी फार्म की स्थापना की. 2001 में डेयरी विकास केंद्र गिल और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण हासिल करने के बाद 32 नीली रवि भैंसों का एक झुंड पाला. वो 13 दुधारू पशुओं से प्रतिदिन लगभग 150 लीटर दूध उत्पादन करती हैं. पशु से अधिकतम 22 लीटर दूध हासिल कर चुकी हैं. दूध उत्पादन के अनुसार साइलेज एड लिब और अनुकूलित चारा खिलाती हैं. वह सीधे अपने ग्राहकों को दूध बेचती हैं और घी भी तैयार करती हैं. उनके खेत में एक गोबर गैस प्लांट भी है और उनकी 15 एकड़ कृषि भूमि में घोल का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है.
मछली पालन की इस तरह की शुररुआत
वहीं रुपिंदर पाल सिंह पुत्र स्व. जसपाल सिंह, गांव जंडवाला चरत सिंह, जिला श्री मुक्तसर साहिब को मछली पालन श्रेणी में पुरस्कृत किया जाएगा. उन्होंने 2012 में 5 एकड़ जमीन से मछली पालन शुरू किया और अब अपने खेतों को 36 एकड़ तक बढ़ा लिया है. इस बीटेक ग्रेजुएट किसान ने मछली पालन के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए रोहतक से प्रशिक्षण लिया और भारत के तमाम शहरों का भ्रमण किया. उन्हें प्रति एकड़ लगभग 2200 किलोग्राम मछली की पैदावार मिलती है. वह 2017 में झींगा पालन भी शुरू किया. 100% उत्तरजीविता के साथ एक झींगा हैचरी भी स्थापित की है. 2021 में प्रोडक्शन को संरक्षित करने के लिए पीएम योजना के तहत कोल्ड स्टोरेज सुविधा का निर्माण किया.
कनाडा से वापस आकर शुरू किया बकरी पालन
बकरी पालन श्रेणी में बरजिंदर सिंह कंग पुत्र स्व. करनैल सिंह कंग, सरहिंद रोड, पटियाला को पुरस्कार के लिए चुना गया है. उन्होंने एमबीए की डिग्री हासिल की है. फिर वो कनाडा गए और वहां 3-4 साल बाद वापस लौट आए. साल 2017 में बकरी पालन शुरू किया और वर्तमान में उनके पास 4 हिरन, 58 बकरियां और बीटल नस्ल के 23 बच्चे हैं. उनके जानवरों को केवल स्टॉल पर खाना खिलाया जाता है. वह सूखा चारा (अमरूद, मूंगफली, मूंग की पत्तियां), मौसमी हरा चारा (मक्का, बाजरा, बरसीम और राई घास) प्रदान करते हैं. वह विभिन्न श्रेणियों के जानवरों के लिए अपना स्वयं का सांद्र आहार तैयार करते हैं. वह नियमित रूप से सभी टीके लगवाते हैं और मृत्यु दर 1.5% से कम है. उन्होंने अपना खुद का पारंपरिक कृमिनाशक नुस्खा विकसित किया है और एथनो उपचार का उपयोग करने की कोशिश करते हैं. वह सोशल मीडिया के जरिए जानवरों की मार्केटिंग करता है. वह बकरी पालन संघ के सदस्य हैं. एक महीने में लगभग 1500 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसकी अधिकतम उपज 3.8 लीटर प्रति दिन है.
Leave a comment