नई दिल्ली. बकरी जब बच्चे को जन्म देती है तो ये बच्चा बकरी पालन में के काम में फायदा लेकर आता है, लेकिन फायदा तभी होता है जब बकरी के बच्चे की देखरेख सही तरह से की जाए, उसे कोई बीमारी न लगे. क्योंकि बीमारी लगने का मतलब है कि उसकी मौत भी हो सकती है. अगर ऐसा न भी हो तो भी उसकी ग्रोथ रुक जाती है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की ओर से बताया गया है कि बकरी के बच्चे के जन्म के बाद क्या करना चाहिए, आइए इस बारे में जानते हैं.
बकरी बच्चे के जन्म के साथ ही उसकी नाभि को साफ कैची या तेज ब्लेड से 2 या 3 इंच नीचे काटकर उस स्थान पर टिंचर आयोडिन कम से कम दो दिन तक इस्तेमाल करना चाहिए.
इन बातों को ध्यान सें पढ़ें
एक्सपर्ट के मुताबिक जन्म के तुरन्त बाद बच्चे के मुंह व नाक की झिल्ली साफ कर, उसे साफ कपड़े से बांधकर सूखे भूसे के बिछावन पर रखना चाहिए.
यदि जन्म के समय बच्चा सांस न ले पा रहा हो तो उसके पिछले पैर उठाकर मुंह के नीचे करके धीरे-धीरे झटके देने से बच्चा सामान्य सांस लेने लगता है.
बच्चे को जन्म के दस मिनट के अंदर खीस पिलाना चाहिए ताकि उसे मां से रोग प्रतिरोधक क्षमता मिल सके.
इस अवस्था में दस्त व अन्य रोग के बचाव में एन्टीबायोटिक 3-5 दिन तक देना चाहिये. दो माह की अवस्था या आगे उम्र पर मेंमनों में प्रोटोजोआ जनित कोक्सीडिओसिस (कुकडिया) रोग की सम्भावना बनी रहती है.
इस उम्र अवस्था में कोक्सीकारक दवा एम्प्रालियम खुराक 5-6 दिन तक लगातार देना चाहिये तथा साथ में बी-कम्पलेक्स दवा 5 मिली रोजाना पिलाना चाहिए.
मेंमनों की 3-5 माह की उम्र पर आन्तरिक परजीवियों का संक्रमण बढ़ने लगता है. इसलिए इस उम्र अवस्था पर परजीवी नाशक दवा निर्धारित मात्रा में जरूर पिलानी चाहिये. बरसात से पहले व बाद में दवा की खुराक पिलाना लाभकारी रहता है.
3-4 माह की उम्र पर ई.टी. (आंत्र विषाक्तता), पी.पी.आर. (बकरी प्लेग), खुरपका मुँहपका (एफ.एम.डी), गोट पाक्स (बकरी चेचक), न्यूमोनिया (एच.एस.) का टीका दिया जाना चाहिये.
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