नई दिल्ली. यदि आप बकरी पलक हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि भेड़ बकरी को पालने के बाद उन्हें कौन सा चारा देना है. उन्हें बीमारी से बचने के लिए क्या करना है. कौन से टीके लगते हैं. मौसम के हिसाब से बकरियों का शेड कैसा होना चाहिए. कैसे मिल्क और मीट का प्रोडक्शन बढ़ाया जा सकता है. हालांकि इन सब जानकारी के लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है. क्योंकि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान आईसीएआर का 756 एकड़ में स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान सीआईआरजी मथुरा इन सब चीज की ट्रेनिंग देता है. सीआईआरजी चार अलग-अलग डिवीजन में बांटा गया है. जो बकरी और भेड़ पालन की साइंटिफिक ट्रेनिंग बकरी पलकों को मुहैया कराता है. इसके साथ ही गोट फार्म खोलने में मदद करने का भी काम यह संस्थान करता है. प्योर ब्रीड के बकरे और बकरी उपलब्ध भी करता है.
किस-किस नस्ल के बकरे-बकरी हैं यहां
यहां ट्रेनिंग देने के लिए बरबरी, जमुनापरी, जखराना नस्ल के बकरे और बकरी, जबकि मुजफ्फरनगर भेड़ रखे गए हैं. यहां भेड़ बकरी के ब्रीड पर भी काम होता है. जानकारी के मुताबिक साइंटिफिक ट्रेनिंग देने के साथ ही पीएचडी रिसर्च स्कॉलर और छात्र—छात्राओं को पढ़ाई भी कराई जाती है. इसके लिए कई यूनिवर्सिटी ने संस्थान के साथ समझौता किया हुआ है. इस मामले में और अधिक जानकारी देते हुए सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चैताली बताते हैं कि उनका संस्थान 756 एकड़ में स्थित है. यह मखदूम गांव में फरह मथुरा में स्थित है. जहां बरबरी, जमनापरी, जखराना नस्ल के बकरे—बकरी और मुजफ्फरनगरी नस्ल के भेड़ पालन की ट्रेनिंग दी जाती है.
चार डिवीजन का काम है बंटा है
उन्होंने कहा कि उनके संस्थान में इन तीनों नस्ल के बकरे-बकरी और भेड़ मौजूद हैं. संस्थान में चार डिवीजन हैं, जो पशुपालकों को ट्रेनिंग देते हैं. एनिमल जेनेटिक ब्रीडिंग, न्यूट्रीशन और प्रोडक्ट टेक्नोलॉजी, एनिमल हेल्थ और फिजियोलॉजी और रिप्रोडक्शन डिविजन, इसमें से एनिमल जेनेटिक ब्लीडिंग डिवीजन भेड़ बकरी की नस्ल सुधार पर काम करती है. जबकि न्यूट्रिशन और प्रोडक्ट टेक्नोलॉजी डिवीजन भेड़ बकरी के चारे और उनसे मिलने वाले दूध मीट ऊन और फाइबर आदि पर काम करती है. एनिमल हेल्थ डिवीजन बकरियों की बीमारी के समाधान और रोकथाम के लिए प्रयासरत रहती है. जबकि फिजियोलॉजी एंड रिप्रोडक्शन डिवीजन भेड़ बकरियों की संख्या बढ़ने पर जोर देता है.
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