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Goat Farming: बकरा ही नहीं कुछ खास नस्ल की भेड़ की भी होती है बकरीद पर डिमांड, जानें क्यों

भेड़ पालन से केवल ऊन और मांस ही हासिल नहीं किया जाता है, बल्कि ये आमदनी का जरिया भी है.
मुजफ्फरनगरी भेड़

नई दिल्ली. अगर चांद सही वक्त पर दिख गया तो 17 जून-2024 को ईद-उल-फितर यानी बकरीद दुनियाभर में मनाई जाएगी. इसे लेकर मुस्लिमों ने अभी से जानवर खरीदने की तैयारी कर ली है तो पशु व्यापारी भी अच्छी नस्ल के बकरे और भेड़ मंडी में लाने को तैयार हैं. बकरीद पर कुछ खास नस्ल के बकरों की डिमांड बहुत होती है. ऐसे ही बहुत से प्रदेश हैं जहां के मुस्लिम सिर्फ भेड़ की ही कुरबानी देते हैं. अब जब भेड़ की बात हो रही है तो इसमें भी सबसे ज्यादा दक्षिण के कई प्रदेश हैं तो जम्मू-कश्मीार और हिमाचल प्रदेश में भी भेड़ की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के लिए सबसे ज्यादा मुजफ्फरनगरी भेड़ को पसंद किया जाता है. इस नस्ल की भेड़ मूल रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पाई जाती है जैसा कि भेड़ के नाम से ही प्रतीत हो रहा है.

यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी कई जगह पर भेड़ की कुर्बानी दी जाती है. इस खबर में हम आपको भेड़ की एक ऐसी नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं जो ऊन से ज्यादा मीट के लिए पाली जाती है. कुर्बानी के लिए भी इसी नस्ल की खासतौर पर खरीदारी होती है. इसका मीट देशभर में पसंद किया जाता है. इसकी एक बड़ी खासियत ये भी है कि दूसरी नस्ल की भेड़ों के मुकाबले ये नस्ल 100 किलो के वजन तक पहुंच जाती हैं. भेड़ की इस नस्ल को मुजफ्फरनगरी भेड़ के नाम से जाना जाता है और ये मूल रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है.

क्यों पसंद की जाती है मुजफ्फरनगरी भेड़
उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान यानी सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉक्टर गोपाल दास का कहना है कि मटन के तौर पर मुजफ्फरनगरी भेड़ का मीट में वसा यानी चिकनाई की मात्रा ज्यादा होती है, जिस कारण भारत के ठंडे प्रदेशों जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना सहित कई प्रदेशों में मुजफ्फरनगरी भेड़ का मीट बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है. आंध्रा प्रदेश में बिरयानी का बेहद चलन है. ऐसे में चिकने मीट की वजह से आंध्रा में भेड़ के मीट मीट की खपत है.

ऐसे करें मुजफ्फरनगरी भेड़ की पहचान
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान यानी सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉक्टर गोपाल दास कि अगर कोई मुजफ्फरनगरी भेड़ खरीदना चाहता है तो उसे पहचानने के कई तरीके हैं.इस नस्ल की भेड़ का रंग एकदम सफेद होता है. पूंछ सामान्य भेड़ से लंबी होती है.अगर किसी भेड़ की पूंछ घुटने से नीचे है तो मान लीजिए कि से मुजफ्फरनगरी भेड़ है. उन्होंने बताया कि दस फीसदी भेड़ों की तो पूंछ जमीन को छू जाती है. इसके कान लंबे होते हैं और नाक देखने में रोमन होती है. ये भेड़ यूपी के मुजफ्फरनगर के अलावा इसी जिले से लगे बिजनौर, मेरठ, सहारनपुर, सांमली, संभल आदि जिले में भी थोड़ी-बहुत देखने को मिल जाती है.

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