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Goat Farming: कम लागत में ऐसे शुरू करें बकरी फार्म, अनुभव के साथ बढ़ाएंगे काम तो नहीं होगा नुकसान

barbari goat farming
बरबरी बकरी की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. कुछ लोगों का सोचना है कि सिर्फ खेती करके ही कमाई की जा सकती है और खेती के साथ दूसरा काम नहीं हो सकता, लेकिन ऐसा सोचना गलत है. अगर खेती के साथ पशुपालन करेंगे तो कमाई डबल होगी. इसमें भी बकरी पालन करें तो कई गुना कमाई की जा सकती है. जब बकरी पालन करने की सोच रहे हैं तो मन में कई सवाल दौड़ रहे होंगे. बकरी पालन कैसे करें, कितना खर्चा आएगा, प्योर नस्ल की बकरी कहां से आएंगे, शेड कैसे बनेगा, फार्म का डिजाइन कैसा हो और कितनी लागत आएगी. अगर इन सवालों के ठीक से जवाब मिल जाएं तो बकरी पालन में कभी भी नुकसान नहीं होगा. गोट फार्मर कहते हैं कि शुरूआत कम से करो, जिससे जोखिम भी कम होगा और अनुभव के साथ काम को बढ़ाएं. आज हम इन्हीं सब बिंदुओं पर आपसे बात करने जा रहे हैं. इसलिए खबर को नीचे तक जरूर पढ़ें…

अगर ठीक से किया जाए तो बकरी पालन करना बेहद मुनाफे का सौदा है. बकरी पालन कम लागत में अच्छा मुनाफा देताहै.बस बकरी पालन के कुछ तौर-तरीके हैं, जिनका पालन ठीक से कर लिया तो कोई दिक्क​त नहीं आएगी. आज हम स्टार साइं​टफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद से बकरी पालने के बारे में जानकारी ले रहे हैं. हमने उनसे 50 बकरियों का फार्म शुरू करने के बारे में पूछा ह. उनका मानना है कि लोग अपने बजट के हिसाब से फार्म खोलते हैं लेकिन हम आपको 50 बकरियों से फार्म खोलने के बारे में बता रहे हैं. इसी आधार पर लोग कम और ज्यादा जानवरों का फार्म खोल सकते हैं. क्या है वो तरीका, कैसे होगी शुरूआत, कौनसी नस्ल का करें पालन, कहां से लेकर आएं जानवर, इन सभी के जवाब नीचे खबर में दिए गए हैं.

शेड पर ज्यादा खर्च न करें पैसा
बकरी फार्म की सबसे पहली जरूरत शेड है. देखने में आया है कि कुछ लोग जानकारी के अभाव में शेड पर इतना पैसा खर्च कर देते हैं कि जानवर लाने के लिए पैसा नहीं बचता. जितनी जरूरत है, उसी के हिसाब से शेड बनाएं. एक बाड़ा कम से कम 20 बाई 20 का होना चाहिए, जिसमें 30-35 बकरियां आराम से रह सकती हैं.

10-12 हजार की बकरी
मंडी में तो प्योर नस्ल की कोई गारंटी नहीं लेकिन ब्रीडिंग फार्म में गारंटी से प्योर नस्ल के बकरी-बकरे मिल जाते हैं. यही वजह है कि प्योर नस्ल का जानवर मंडी और किसानों से कुछ पैसे महंगा होता है. अगर हम बरबरी बकरी की बात करें तो एक साल की बकरी कम से कम 10-12 हजार रुपये में आ सकती है वहीं ब्रीडर 15-20 हजार में मिल सकता है. बता दें कि आप अपने क्षेत्र के हिसाब से बकरी का पालन करें.

50 बकरियों के लिए तीन ब्रीडर
अगर आप प्योर नस्ल बनाने के लिए बकरी पालन करना चाहते हैं तो आपको प्योर नस्ल के ब्रीडर भी रखने होंगे, क्योंकि बकरी को किसी भी बकरे से क्रॉस नहीं करा सकते. अगर दूसरे बकरों से क्रास करा लिया तो आपके फार्म की नस्ल खराब हो जाएगी और आगे चलकर नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए 50 बकरियों के लिए तीन ब्रीडर रखने होंगे. जब भी बकरी हीट पर आए तो उन्हीं ब्रीडर से क्रास कराया जाए. 15-20 बकरियों के लिए एक ब्रीडर की जरूरत होती है.

प्योर नस्ल पर दें ध्यान
अगर प्योर नस्ल की बकरी खरीदना चाहते हैं तो न तो मंडी जाएं और न ही किसान से खरीदें. किसान नस्ल सुधार पर ध्यान नहीं देते.इसलिए किसी ब्रीडिंग फार्म से ही बकरी या ब्रीडर खरीदें. क्योंकि गोट फार्म संचालक प्यार नस्ल पर ध्यान देते हैं, जिससे आपको अच्छे बच्चे हासिल हो सकेंगे.

खुद का चारा पड़ता है सस्ता
अगर आप चारा खुद का ही उगाना चाहते हैं तो एक एकड़ चारे में 65-80 बकरियों का काम चल सकता है. अगर खुद का चारा है तो ये और भी सस्ता पड़ सकता है. वैसे बकरियों के दलहनी भूसा बहुत अच्छा होता है. जिन क्षेत्रां में दालों की फसल होती है, वहां पर तो ये भूसा बहुत सस्ता होता है.

ग्रासिंग करा दें तो स्टाल फीड एक टाइम दें
अगर आपका फार्म पहाड़ी क्षेत्र या ऐसी जगह पर हैं जहां पर बकरियों को आसानी से चराया जा सकता है तो आपके लिए बकरी पालना और भी आसान हो जाएगा. एक टाइम ग्रासिंग कराएं और एक टाइम स्टॉल फीड कराएं, तो दाने का खर्चा बच सकता है.

प्रशिक्षण बेहद जरूरी
बकरी फार्म खोलने से पहले लोगों को बकरी पालन की जानकारी होना जरूरी है. अब मन में सवाल पैदा हो रहा होगा कि इसके लिए प्रशिक्षण कहां से लें तो हम बताते हैं. किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र, सीआईआरजी केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान या किसी भी पंजीकृत बकरी फार्म से भी प्रशिक्षण ले सकते हैं. इस बारे में मथुरा के वृंदावन स्थित स्टार साइं​टफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद बताते हैं कि अभी जो बातें मैंने बताई हैं, इनका अगर बकरी पालन ठीक से पालन कर लें तो कभी नुकसान नहीं हो सकता. बकरी पालन से पहले प्रशिक्षण बेहद जरूरी है. हम भी अपने फार्म पर लोगों को प्रशिक्षण देते हैं, जिसमें लोगों को इतना प्रशिक्षित कर देते हैं कि छोटी-मोटी दिक्कतों को वो खुद ही दूर कर लेता है. छोटी बीमारी को खुद ही देख लेता है उसके लिए डॉक्टर को बुलाने की जरूरत नहीं होती.

Written by
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