नई दिल्ली. पशु पालन में चाहे जो भी मवेशी को पालें मौसम के बदलने के साथ ही उसकी ज्यादा केयर की जरूरत होती है. अगर पशुपालक ने इसमें लापरवाही की तो पशु को नुकसान होता है और फिर इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है. मौजूदा वक्त में जिस तरह का मौसम है, उसमें मवेशियों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. क्योंकि गर्मी भी बढ़ रही है और कई जगहों पर बारिश भी हो रही है. दिन और रात के मौसम में काफी अंतर भी देखने को मिल रहा है. इसलिए जरूरी है कि बकरियों को बीमारियों से बचाया जाए.
बताते चलें कि झारखंड के रांची मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि इस मौसम में खास करके बकरियां को संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. खुले में चरने के दौरान यह संक्रमण पशुओं के संपर्क में आ जाता है. ऐसे में क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए इसी को लेकर रांची मौसम विज्ञान केंद्र ने सलाह जारी की है. मौसम विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय बकरियों में पीपीआर रोग संक्रमण की संभावना सबसे ज्यादा होती है.
बकरी की मौत हो सकती है
कहा है कि इस बीमारी से संक्रमित होने पर अक्सर सही इलाज न मिल पाने की वजह से बकरियों की मौत भी हो जाती है. पीपीआर रोग संक्रमित बकरी के लक्षण की बात की जाए तो इससे ग्रसित होने वाले जानवरों को तेज बुखार आता है. साथ ही मुंह में छाले पड़ जाते हैं. संक्रमित बकरी की आंख और नाक से पानी निकलता है. पशुओं में दस्त और निमोनिया के लक्षण दिखाई देते हैं. यह एक संचारी रोग भी है. इस बीमारी के संक्रमण से एक बार में ही पशुपालक को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
वैक्सीन जरूर लगवाना चाहिए
यदि सही समय पर इलाज और दवा नहीं दी गई तो संक्रमित पशु की मौत भी हो जाती है. इस रोग से बचाव के लिए प्रत्येक बकरी को पीपीआर टीका लगवाना चाहिए. एक मिलीलीटर या टीका बकरियों की चमड़ी पर लगाया जाता है. हालांकि जिस बकरी की उम्र 3 महीने से कम है या फिर बकरियां गाभिन हैं तो उन्हें वैक्सीन नहीं देना चाहिए. वैक्सीन से बीमारी का इलाज तो किया ही जा सकता है. जबकि जरूरी ये भी है कि जानवरों को धूप में जाने से बचाया जाए. जबकि उन्हें पीने के लिए पर्याप्त पानी देना भी जरूरी होता है.
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