नई दिल्ली. सरकार की ओर से पशुपालन को बढ़ावा देने और किसानों की इनकम दोगुनी करने के लिए कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. सरकार ने कई योजनाओं को भी शुरू किया गया है. शायद यही वजह है कि पशुपालन में लोगों की दिलचस्पी दिखाई दे रही है और इसके चलते देश में दूध उत्पादन भी बढ़ रहा है. सरकार ने साल 2014-15 राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) की शुरुआत की थी. यह कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की एक पहल शुरू की गई योजना है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसे पशुधन क्षेत्र का विकास करने, रोजगार पैदा करने, पशुधन पालकों और किसानों के जीवन स्तर में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था.
इस मिशन के तहत कई तरह की योजनाएं हैं. जिसमें लघु जुगाली पशु, मुर्गीपालन, चारा क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देना और नस्ल सुधार के ज़रिए प्रति पशु उत्पादकता बढ़ाना देना आदि शामिल है. जिसका फायदा भी पशुपालकों को मिला है.
योजना के तहत किये जा रहे हैं ये काम
विभाग प्रति पशु उच्च उत्पादकता के साथ देशी संकर पशुओं के जेनेटिक अपग्रेडेशन के लिए मौजूदा देशी जीनपूल में बेहतर नर जर्मप्लाज्म को शामिल करने का समर्थन करता है. विभाग वैज्ञानिक प्रजनन कार्यक्रमों के माध्यम से देशी पशुओं में सुधार करने के लिए अच्छे जेनेटिक छोटे पशुओं के इंपोर्ट की इजाजत दे रहा है.
विभाग की ओर से इनोवेशन और विस्तार उप-मिशन को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसका उद्देश्य भेड़, बकरी आदि और आहार व चारा क्षेत्र, विस्तार के कामों, पशुधन बीमा और नवाचार से संबंधित अनुसंधान और विकास करने वाले संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठनों को प्रोत्साहित किया जाना है.
इस उप-मिशन के तहत, क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी रिसर्च, पशुपालन और योजनाओं के लिए प्रचार गतिविधियों, सेमिनार, सम्मेलनों, प्रदर्शन कार्यकलापों और जागरूकता पैदा करने के लिए अन्य आईईसी कार्यकलापों सहित विस्तार सेवाओं के लिए केंद्रीय एजेंसियों, आईसीएआर संस्थानों और विश्वविद्यालय फार्मों को सहायता प्रदान की जाएगी. वहीं पशुधन बीमा कार्यकलाप के माध्यम से जोखिम को कम करने के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है.
पशु आहार और चारा के उप-मिशन के तहत, चारा उत्पादन के लिए जरूरी सर्टिफाइड चारा बीज की उपलब्धता में सुधार करने के लिए मदद की जाती है. जिसके तहत चारा बीज श्रृंखला को मजबूत करने और प्रोत्साहन के माध्यम से चारा ब्लॉक / घास बांधने (हे बेलिंग) / सिलेज बनाने वाली इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के माध्यम से चारा विकास कार्यकलाप शुरू किए जाते हैं. पूंजीगत लागत पर (50.00 लाख रुपये तक की 50 फीसदी सब्सिडी) दी जाती है. ताकि पशुओं की उत्पादकता बढ़ाई जा सके.
Leave a comment