नई दिल्ली. फिशरीज सेक्टर को हर पहलू से मजबूत बनाने के लिए मूल्य श्रृंखलाओं यानि वैल्यू चेंस को मजबूत करने और फसल मिलने के बाद के नुकसान को कम करने के लिए, पीएमएमएसवाई ने व्यापक बुनियादी ढांचे को मंजूरी दी है. मछली पकड़ने के लिए 58 बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों के लिए 3281.31 करोड़ रुपये का कुल खर्च किया गया है. जिसमें 734 बर्फ प्लोंटो या कोल्ड स्टोरेज, 21 आधुनिक थोक मछली बाजारों (3 स्मार्ट बाजारों सहित), 192 मछली खुदरा बाजारों, 6,410 मछली कियोस्क, 134 मूल्य वर्धित उद्यम इकाइयों के लिए 1568.11 करोड़ रुपये सरकार की तरफ से दिए गए हैं.
मछली के उत्पाद के बाद 27 हजाार 297 मछली परिवहन इकाइयां और डिजिटल मछली व्यापार के लिए 5 ई-प्लेटफॉर्म पैदावार के बाद और बिक्री के अनुकूल परिवेश को मजबूत किया गया है.
यहां पढ़ें योजना के बारे में
इसके अलावा मछली पालक किसान उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) के रूप में 2,195 मत्स्य सहकारी समितियों को 544.85 करोड़ रुपए के परियोजना परिव्यय के साथ सहायता प्रदान की गयी है.
जिससे बेहतर बाजार संपर्क, सौदेबाजी की क्षमता और उच्च रिटर्न के लिए स्थायी मूल्य श्रृंखलाएं तैयार हो सकें.
मछली पालन वैल्यू चेंस में क्षमता और कम समय में काम को करने के लिए संसाधन को मजबूत करने के लिए सरकार ने एक और योजना शुरू की थी.
सरकार ने 8 फरवरी 2024 को पीएएमएसवाई की केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजना के रूप में प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) को स्वीकृति दी थी.
यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2026-27 तक चार वर्षों के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 6,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ लागू की जा रही है.
पीएम-एमकेएसएसवाई मत्स्य पालन क्षेत्र की औपचारिकता, जलीय कृषि बीमा को प्रोत्साहित करने, मूल्य श्रृंखला दक्षता में सुधार और सुरक्षित मछली उत्पादन के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता प्रणालियों को अपनाने पर केंद्रित है.
अप्रैल 2025 तक इसके जल्दी शुरू करने में सहायता प्रदान करने के लिए योजना के के तहत 11.84 करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं.
निष्कर्ष
सरकार योजनाओं की मदद से फिशरीज सेक्टर को मजबूत बनाने का काम कर रही है. ताकि लोगों को इससे भी आजीविका कमाने का मौका मिले. खासकर किसान भाई इससे जुड़ें और उनकी इनकम दोगुनी हो.
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