नई दिल्ली. पशुओं के विकास और नस्ल सुधार के लिए केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना को चलाया जा रहा है. इस योजना का मकसद पशुओं में तो नस्ल सुधार करना था ही लेकिन किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करना है. इसका देश के पशुपालक लाभ उठा भी रहे हैं. दिसंबर 2014 को शुरू की गई योजना के तहत अभी तक 4.3 करोड़ इस योजना का लाभ ले चुके हैं. राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत छह करोड़ पशुओं को कवर किया जा चुका है.
केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के साथ ही पशुधन बीमा योजना को भी सरकार संचालित कर रही है. अब सरकार ने किसान—पशुपालकों के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए इस पशुधन बीमा योजना को और भी सरल बना दिया है. अब तक किसान जो तय प्रीमियम जमा कर रहे थे, सरकार ने उसमें कटौती कर दी है, जिससे किसान आसानी से किस्त को जमा कर सके. नीचे राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना और पशुधन बीमा योजना के बारे में पूरी जानकारी दी गई है, जो किसानों के लिए बेहद जरूरी है.
पशुधन योजना क्या है
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना भारत सरकार की ओर से पशुओं की नस्ल सुधार के लिए चलाई गई. इसमें डेयरी उद्योग को बढ़ावा देकर किसानों की आय को दो गुना करने की भी बात कही गई है. इस योजना की शुरूआत केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में की गई थी. इस योजना के लिए सरकार ने 2025 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू किया गया था. सरकार द्वारा इस योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य गायों और दुधारू पशुओं की देशी नस्लों में सुधार करने के साथ ही पशुओं की बीमारियों को भी ठीक करना था.
पशुधन बीमा योजना का मकसद
देश की अर्थव्यवस्था में पशुधन बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. खासतौर पर अगर हम ग्रामीण परिवेश की बात करें तो पशुपालन के जरिए से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त आय किसान, पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाती है. सरकार द्वारा संचालित ये पशुधन बीमा योजना किसानों और पशुपालकों के पशुओं की मृत्यु की दशा में होने वाली आर्थिक क्षति को कम करके आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान करती है.
पशुधन बीमा योजना से ये मिलेगा लाभ
पशुधन बीमा योजना को किसानों के लिए और भी अधिक सरल बनाने के लिए सरकार ने काम किया है. सरकार ने किसान, पशुपालकों को राहत देते हुए प्रीमियम में कटौती की है. सरकार ने मौजूदा लाभार्थी हिस्सों को 20 फीसदी, 30 फीसदी, 40 फीसदी और 50 फीसदी के स्थान पर 15 फीसदी तक कम कर दिया है.बीमा किए जाने वाले पशुओं की संख्या भी भेड़, बकरी के लिए पांच मवेशी इकाई के बजाय 10 मवेशी इकाई तक बढ़ा दी गई है. इससे पशुपालकों को अपने बेशकीमती पशुओं का बीमा कराने में सुविधा होगी.
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