नई दिल्ली. हरे चारे में तमाम पोषक तत्व होते हैं. जिसकी वजह से इन्हें पशुओं को खिलाना बहुत ही अहम होता है. अगर पशुओं को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में न दिया जाए तो उन्हें पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, जिसका सबसे पहला असर उनकी दूध उत्पादन क्षमता पर पड़ता है. वहीं उनकी सेहत पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. पशुओं को पर्याप्त मात्रा में हरा चारा देने की एनिमल एक्सपर्ट सलाह देते हैं. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं को हरे चारे के तौर पर पैरा घास खिलाना बेहतर है. अगर इस पैरा घास को खिलाया जाता है तो इससे पशु के दूध उत्पादन में वृद्धि होती है.
वहीं पैरा घास समेत अन्य हरी से भी पशुओं के दूध बढ़ाने में मददगार होती है. क्योंकि हरे चारे में पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्व होते हैं. पैरा घास में भी मौजूद प्रोटीन पशुओं को बीमारियों से बचाता है. इसमें मौजूद के प्रोटीन विटामिन ए का रूप होता है जो पशुओं को अंधेपन से भी बचाता है. वहीं यह चारा खिलाने से पशुओं का की ब्लड सर्कुलेशन बनी रहती है. उनकी पाचन शक्ति मजबूत होती है. उनकी स्किन मुलायम और चिकनी होती है. वहीं उनके दूध देने की क्षमता भी बढ़ती चली जाती है. इसलिए पैरा चारा खिलाना चाहिए.
कब करनी चाहिए चारा फसल की रोपाई
आमतौर पर पैरा घास की रोपाई मार्च में की जाती है. इसे नेपियर घास की तरह 45 डिग्री पर मेढ़ बनाकर गाड़ दिया जाता है. वहीं कटिंग के भाग को ऊपर रखा जाता है. इसकी रोपाई जून जुलाई में भी की जाती है. इसे 60 सेंटीमीटर की दूरी पर रखा जाता है. इसके खर-पतवार नियंत्रण की बात की जाए तो फसल की रोपाई के बाद खेत में खर-पतवार नहीं उगने देना चाहिए. एक-दो निकाई-गुड़ाई करें, जिससे फसल अच्छी हो. जब फसल का बढ़वार हो जायेगी तक कोई घास नहीं उग पायेगी. फसल के शुरुआती अवस्था में हो तो अन्य चारा फसल इसके दो कतार के बीच में लगाई जा सकती है.
कटाई का समय क्या है जानें यहां
पहली कटाई, फसल रोपाई के तीन महीने बाद की जाती है. उसके बाद की कटाई 30 दिनों के बाद की जाती है. अच्छा खाद और उर्वरक प्रबन्धन के बाद 1200 से 1500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष उपज प्राप्त हो सकता है. यह बहुवर्षीय घास है. एक बार लगाने से कई वर्षों तक इससे फसल ली जा सकती है. इसका सही से प्रबन्धन किया जाय तो वर्ष में प्रति हेक्टेयर से 1900 क्विंटल हरे चारे का उत्पादन किया जा सकता है. यह एक पौष्टिक चारा है जिसमें प्रोटीन 7 प्रतिशत पाया जाता है. इसमें मिनरल भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. पैरा घास में रेशा, वसा आदि उपयोगी पदार्थ भी पशुओं को प्राप्त हो जाता है.
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