Home पशुपालन Green Fodder: गर्मी में इस चारा फसल का करें प्रयोग, पशुओं के लिए पूरे सीजन नहीं होगी हरे चारे की कमी
पशुपालन

Green Fodder: गर्मी में इस चारा फसल का करें प्रयोग, पशुओं के लिए पूरे सीजन नहीं होगी हरे चारे की कमी

गर्मी और बरसात के मौसम में उगाई जाने वाली यह एक महत्त्वपूर्ण अनाज वाली चारा फसल है. ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर, ज्वार को देश के सभी हिस्सों में उगाया जाता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. गर्मी का मौसम पशुपालकों के लिए कई तरह की परेशानियां लेकर आता है. गर्मी में पशुओं के चारे की समस्या सामने आती है. खासतौर पर राजस्थान जैसे राज्य में चारे की समस्या सबसे बड़ी होती है. राजस्थान में पशुपालन बड़े पैमाने पर होता है. यहां पशुओं को चारे की कमी के कारण पोष्टिक आहार मिलने में परेशानी आती है. हरे चारे की कमी के कारण पशुओं को वो पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है, जो उन्हें चाहिए होते हैं. इसके चलते पशुओं के उत्पादन और उनकी हेल्थ पर असर पड़ता है. अगर आप भी पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या है परेशान हैं तो ये खबर आपके लिए ही है.

यहां हम आपको ऐसी फसल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे पशुओं के हरे चारे की समस्या खत्म हो जाएगी. फिर देर किस बात की है आइए जानते हैं कि वो कौन सी चारा फसल है, जिससे गर्मियों में पशुओं को भरपूर चारा दिया जाता है.

गर्मी और बारिश का नहीं होता है असर: ज्वार (सोरघम बाईकलर) गर्मी और बरसात के मौसम में उगाई जाने वाली यह एक महत्त्वपूर्ण अनाज वाली चारा फसल है. ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर, ज्वार को देश के सभी हिस्सों में उगाया जाता है. हकीकत में चारा फसलों में यह अधिकतम बुबाई योग्य क्षेत्र में उगाया जाता है. जबकि हरे चारे की कमी हर जगह होती है. अगर पशुपालक चाहें तो इस फसल के लिए पशुओं की हरे की चारे की समस्या को खत्म कर सकते हैं. उन्हें भरपूर चारा भी मिलेगा और इसके साथ ही उससे मिलने वाले जरूरी पौष्टिक गुण भी है.

6 कटाई की जा सकती है हासिल: इस फसल की खास बात ये भी है कि न तो ज्यादा सूखा और न ही अधिक बारिश का इस पर असर पड़ता है. यानि दोनों ही मौसम के लिए ये फसल बिल्कुल ठीक है. इसकी एक कट वाली, दो कट वाली और बहु कट वाली देशी प्रजातिया/संकर प्रजातिया उपलब्ध हैं. जिनसे 50-100 टन प्रति हेक्टर हरा चारा 1-6 कटाई में प्राप्त हो जाता है. फसल को 50 प्रतिशत फूल आने की अवस्था में अथवा सिंचाई के बाद फूल आने से पहले की स्थिति में काटना चाहिए. जिससे कि प्रूसिक एसिड और साइनाईड जहर से मवशियों को बचाया जा सके.

ये है इसकी खास प्रजातियां: एक्सपर्ट कहते हैं कि ये यह फसल हे और साइलेज बनाने के लिये भी उपयुक्त है. अक्सर जब हरे चारे की कमी होती है तो साइलेज के जरिए ही पशुओं को इसकी कमी पूरी की जाती है. अगर इसकी महत्वपूर्ण प्रजातियों की बात की जाए तो पीसी-1, पीसी-6, पीसी-9, पीसी-23, एचसी-136, एचसी-171, पीएससी-1, पंतचरी-5, पंतचरी-6 औ संकर सौरघम सूडान है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

जैसे बच्चा बाहर आ जाए, उसे पशु को चाटने देना चाहिए. जिससे उसके शरीर में लगा श्लेषमा सूख जाए. जरूरत हो तो साफ नरम तौलिया से बच्चे को साफ कर दीजिए.
पशुपालन

Animal Husbandry: गर्भ के समय कैसे करें पशुओं की देखभाल, जानिए एक्सपर्ट के टिप्स

जैसे बच्चा बाहर आ जाए, उसे पशु को चाटने देना चाहिए. जिससे...

सफेद कोट का रंग होता है. नर में चेहरे, गर्दन और पिछले पैरों पर लंबे बालों का गुच्छा होता है.
पशुपालन

Assam Hill Goat: असम की पहचान है ये पहाड़ी बकरी, जानिए इसकी खासियत और ये जरूरी बात

सफेद कोट का रंग होता है. नर में चेहरे, गर्दन और पिछले...