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Green Fodder In Summer : गर्मी में बकरियों के लिए हरे चारे की नहीं होगी समस्या, ऐसे करें इंतजाम

बकरी की कुछ नस्ल ऐसी हैं, जिन्हें पालकर मोटी कमाई कर सकते हैं. बता दें कि देश में बकरी की 37 नस्ल होती हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. पशुपालन के व्यवसाय में अच्छी आमदनी हो सकती है. समय पर पशुओं की सेहत की देखभाल, अच्छा आहार, पानी का अच्छा प्रबंध होना पशुओं के लिए और पशुपालक के लिए अच्छा होता है. पशुओं की सेहत के लिए हरा चारा बहुत अहम है. गर्मी के दिनों में हरे चारे की समस्याएं होना शुरू हो जाती हैं. बहुत से किसान चारे की कमी के कारण गर्मी के दिनों में पशुओं को नहीं पालते हैं. बात चाहे गाय और भैंस की हो या बकरे या बकरी की. दोनों पशुओं को हरा चारा बहुत जरूरी होता है. बकरियों के लिए भी चारा उपलब्धता में कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिनको अगर दूर कर लिया जाए तो फिर बकरी पालन और ज्यादा मुनाफे वाला बिजनेस बन सकता है.

गोट एक्सपर्ट का कहना है कि बकरियां आमतौर पर खाली पड़ी जमीन, सड़क के किनारे नदी या ​फिर नहर के किनारे चर कर चारा ले लेती हैं. ऐसे में बकरी पालक को लगता है कि उनको प्रर्याप्त चारा मिल गया है, जबकि ऐसा नहीं है. इन जगहों पर चरने से बकरियों को समुचित मात्रा एवं गुणवत्ता में चारा नहीं मिल पाता है. जिससे कि किसान बकरियों से अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते हैं. इसके अलावा बकरियों के लिए चारा उत्पादन में कई तरह की दिक्कतें भी हैं. आइए जानते हैं.

ये परेशानियां आती हैं

  • बकरियों के चरने वाली जमीन बारिश के पानी पर आधारित होती है तथा हरे चारे की उलब्धता सिर्फ बरसात के महीनों में ही रहती है. जबकि गर्मियों में हरे चारे की बहुत कमी रहती है. इससे बकरियों को भरपूर चारा नहीं मिल पाता है.
  • चराई वाली जमीनें ज्यादातर बेकार वनस्पतियों से भरपूर रहती हैं जिनको कि बकरियाँ नहीं खाती हैं. इस वजह से ऐसी चारागाहों बेकरियों के लिए बेकार ही मानी जाती हैं.
  • भूमिहीन व सीमान्त किसान बकरियों के लिए चारे की खेती नहीं कर पाते हैं. इसके चलते उन्हें चारा खरीदना पड़ता है जो उन्हें महंगा पड़ता है.
  • भूमि की दशा व जलवायु के अनुकूल चारा फसलों में प्रजातियों का अभाव है.
  • गैर परम्परागत चारा स्रोतों का समुचित ज्ञान न होना भी चारे की कमी का कारण है.
  • सिंचाई के संसाधनों का चारा फसलों में अभाव भी एक कारण है.
  • चारे के पौष्टिक मान के प्रति किसानों को जानकारी न होना भी है.
  • चारा फसलों के लिए प्रमाणीकृत बीजों का अभाव भी एक समस्या है.
  • चारा उत्पादन के अन्तर्गत अधिक क्षेत्रफल का न होना भी बड़ी समस्या है.
  • निम्न कोटि चारा स्रोतों (भूसा इत्यादि) की गुणवत्ता वृद्धि और सम्बन्धी तकनीकों का अभाव भी एक दिक्कत है.
  • चारा फसलों का बाजारी मूल्य न होने के कारण किसान कम रूचि लेते हैं. जबकि अच्छे और तय दाम मिलें तो फिर किसान चारे की फसल उगाएंगे.
  • चारे के भंडारण के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होने के कारण भंडारण में भी समस्या होती है.

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