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Green Fodder: पशुओं से लेना है ज्यादा दूध प्रोडक्शन तो खिलाएं ये घास, कम सिंचाई में मिलता है अच्छा रिजल्ट

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं को ऐसा चारा देना चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा दूध उत्पादन हो सके. ज्यादा दूध उत्पादन का मतलब है कि इससे डेयरी व्यवसाय में ज्यादा फायदा होगा. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि गिनी घास एक ऐसा चारा है जो पशुओं के लिए बहुत ही अच्छा है. इसको गिनी घास में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है. इसमें रेशा, प्रोटीन, फास्फोरस, कैल्शियम, और मैग्नीशियम होता है. गिनी घास की पत्तियां पचने में आसान होती है, जिससे पशुओं का विकास होता है और दूध बढ़ता है. जबकि इसका बड़ा फायदा ये भी है कि गिनी घास की खेती कम सिंचाई में भी की जा सकती है.

गिनी घास सूखारोधी घास की प्रजाति है. यह लम्बी कड़ी बहुवर्षीय घास की प्रजाति है. गिनी अच्छी जल निकास वाली मृदा है जो गहरे मध्यम दोमट, गहरी बलुई दोमट मिट्टी में उगायी जा सकती है. यह भारत में 1793 में लाई गई थी. इस समय से इसकी खेती की जा रही है. यह सबसे पुरानी घास की जाति है. इसमें 13 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है.

मिट्टीः गिनी घास के लिए उपयुक्त मिट्टी दोमट से बलुआही, दोमट अच्छी जल निकास वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त है. मिट्टी में आर्गेनिक की मात्रा होने पर अच्छी बढ़वार होती है.

बुआई का समयः इसकी बुआई मार्च से अगस्त तक की जाती है.

बीज दरः 4 से 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर कतार वाली फसल के लिए और छिटकवां फसल में 7 से 8 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. 40 हजार जड़युक्त गेड़ी कतार-से-कतार 50 सेंमी और पौधा से पौधा की दूरी 50 सेंमी रखी जाती है. इसकी रोपाई दोनों विधि, बीज और जड्युक्त स्लिप द्वारा की जा सकती है. रोपाई नेपियार घास की तरह की जाती है.

उर्वरक प्रबंधन: रोपाई के समय 85 किलोग्राम यूरिया, 325 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट डालना चाहिए. प्रत्येक कटाई के बाद 65 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए.

खरपतवार नियंत्रणः रोपाई के 25 दिनों के बाद निकाई-गुड़ाई कर घास (तृण) को नियंत्रित किया जाता है. जरूरत पड़ने पर दूसरी निकाई-गुड़ाई की जाती है.

सिंचाई प्रबन्धनः खरीफ मौसम में सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है. गर्म मौसम में 20 दिनों पर सिंचाई करनी पड़ती है.

कटाई: पहली कटाई 75 दिनों पर एवं बाद की कटाई 45 दिनों बाद की जाती है. इस प्रकार यह फसल 3-5 वर्षों तक चारा प्रदान करती है, जिसके बाद उत्पादन घट जाता है तब इसे रखना उचित नहीं होता है.

बीज तैयारी: बीज पौधे एक बार में नहीं पकते हैं. बीज पकते ही झड़ने भी लगता है. जैसे-जैसे बीज पकते जाता है इसकी तोड़ाई कर लेनी चाहिए. यह घास पशुओं को चराने के लिए एवं साइलेज बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यह 1250 से 1500 क्विंटल प्रति हेक्टयेर की दर से हरा चारा देने वाली घास है.

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