Home पशुपालन Green Fodder: हरे चारे के लिए गिनी घास है बेहतरीन सोर्स, सालभर पशुओं को नहीं होगी कमी, पढ़ें डिटेल
पशुपालन

Green Fodder: हरे चारे के लिए गिनी घास है बेहतरीन सोर्स, सालभर पशुओं को नहीं होगी कमी, पढ़ें डिटेल

पशुपालन में हरा चारा बेहद जरूरी होता है.
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. गर्मियों का सीजन है और पशुओं इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत पानी और हरे चारे की होती है. हरे चारे की वजह से उन्हें कई पौष्टिक गुण मिलते हैं. जबकि इस दौरान रहे चारे की कमी भी रहती है. ऐसे में ​पशुपालक परेशान रहते हैं कि किस तरह से हरे चारे की कमी को पूरा किया जाए. कई बार पशुपालक साइलेज के जरिए इस कमी को पूरा करते हैं लेकिन ज्यादा साइलेज देना भी पशुओं को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं के लिए सालभर हरे चारे की वयवस्था की जाए.

हम यहां जिक्र करने जा रहे हैं गिनी घास की जिसका इस्तेमाल हरे चारे के तौर पर किया जा सकता है. गिनी घास के बारे में एक्सपर्ट कहते हैं कि यह एक बहुवर्षीय हरे चारे वाली घास है. इससे पूरे वर्ष हरा चारा मिलता है. इसकी खेती सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्र में की जा सकती हैं. जबकि इसकी खासियत ये भी है कि एक बार लगाई गई पौध से 4-5 हरे चारे की कमी को पूरा कर सकते हैं. पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर पशुपालक इस हरे चारे की फसल को बोएं तो उन्हें पशुओं के लिए चारे की कमी नहीं होगी.

4-5 वर्ष तक पूरे वर्ष मिलता है हरा चारा
इस हरे चारे की बुवाई का समय जुलाई-अगस्त होता है. इसमें बीज की मात्रा 5 किग्रा प्रति हेक्टेयर डाली जाती है. खेत में बुवाई के लिए उपलब्ध क्षेत्रफल के हिसाब से बीज की मात्रा लेकर पहले जुलाई माह में नर्सरी तैयार की जाती है. जब 2-3 माह के पौधे हो जायें तो खेत में उनको उखाड़ कर उपलब्ध क्षेत्र में लगाया जाता है. कतार से कतार की दूरी 75 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी रखी जाती है. एक बार लगाई गई पौंध से 4-5 वर्ष तक पूरे वर्ष हरा चारा मिलता है. जो पौधा मरने लगे उसकी जगह नई पौध लगाई जा सकती है.

खाद व उर्वरक की कितनी होती है जरूरत
खाद व उर्वरक की बात की जाए तो 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद बुवाई के एक माह पूर्व खेत में मिलाई जाती है. बुवाई के समय 60 किग्रा नत्रजन व 40 किग्रा फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए. बाद में प्रत्येक कटाई के बाद 30 किग्रा नत्रजन प्रति हैक्टेयर की दर से देना चाहिए. हरा चारा उपज प्रति वर्ष 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. बुंदेल गिनी-1, बुंदेल गिनी-2 एवं पी.जी.जी.-14 जैसी किस्मों को बोया जा सकता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

ppr disease in goat
पशुपालन

Goat: बकरियों को चारा उपलब्ध कराने में आती हैं ये रुकावटें, पढ़ें यहां

बताया कि बकरियाँ सामान्यत बेकार पड़ी जमीन, सड़क के किनारे नदी व...

langda bukhar kya hota hai
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं की बरसात में देखभाल कैसे करें, यहां पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह

डेयरी फार्म में पशुओं के मल-मूत्र की निकासी का भी उचित प्रबंधन...

Animal husbandry, heat, temperature, severe heat, cow shed, UP government, ponds, dried up ponds,
पशुपालन

Animal Husbandry: यहां पढ़ें क्या है पशु क्रूरता के नियम, ​इसे न मानने वालों पर क्या होगी कार्रवाई

पशु क्रूरता से संबंधित शिकायत संबंधित थाना, पुलिस अधीक्षक, जिला पदाधिकारी और...