नई दिल्ली. गुजरात की बनास डेयरी ने उत्तर प्रदेश के 7 गांव में कृत्रिम गर्भाधान एआई की मदद से हाल ही में बनास बोवाइन ब्रीडिंग एंड रिसर्च सेंटर (बीबीबीआरसी) शुरू किया है. बनास डेयरी का बोवाइन प्रजनन और अनुसंधान उत्कृष्ट केंद्र है. इसमें गंगातिरी, रेड साहीवाल और रेड सिंधी की स्थानीय नस्लों के लिए भ्रूण तैयार होगा. जिसका प्रयोग भ्रूण स्थानांतरण के लिए किया जाएगा. बनास डेयरी ने भ्रूण स्थानांतरण तकनीक का उपयोग करके वाराणसी जिले के अरजेलाइन और सेवपुरी ब्लॉक के 33 गांव के 112 किसानों से 164 जानवरों का चयन किया है. वहीं नस्ल सुधार कार्यक्रम के एक भाग के रूप में किसानों और उत्पादकों 150 उच्च गुणवत्ता वाली गाय वितरित की गई हैं.
पूर्वांचल के किसानों को दी ट्रेनिंग
इन गायों को वाराणसी के अरजेलाइन, सेवपुरी, काशी विद्यापीठ और पिंडरा ब्लाक के 55 गांव के किसानों को दिया गया है. इससे जिले की नस्ल सुधार कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है. किसानों के बीच पशुपालन के बारे में जागरूकता और ज्ञान बढ़ाने के लिए बनास डेयरी ने बनासकांठा गुजरात के पालनपुर में पूर्वांचल के 150 से अधिक स्थानीय किसानों के लिए छह दिवसीय क्लास और ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया था.
पशु चिकित्सा केंद्र स्थापित
बताया गया की बनास डेयरी ने 7 जुलाई सभी 250 गांव में एआई सेवाएं प्रदान करने के लिए एआई कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षित कर रही है. विशेष प्रशिक्षण के लिए वाराणसी और मिर्जापुर जिलों के अरजेलाइन, सेवापुरी और काशी विद्यापीठ के 22 ब्लॉकों से कुल 22 एआई कार्यकर्ताओं का भी चयन किया गया है. मोहन सराय में पशु चिकित्सा केंद्र भी स्थापित किया गया है. जहां पर पशुओं का इलाज भी किया जा रहा है.
किसानों को किया जाएगा जागरुक
दावा किया जा रहा है कि केंद्र 400 से अधिक जानवरों का इलाज कर चुका है और जल्द ही 1200 से अधिक जानवरों का इलाज करने में सक्षम हो जाएगा. 241 गांव में पशु स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की गई हैं और पशु चिकित्सा नियमित रूप से गांव का दौरा करेंगे. एक मार्ग प्रणाली के माध्यम से किसानों से जुड़ेंगे. बनास डेयरी वाराणसी में उत्तर प्रदेश पशुधन विकास बोर्ड के सहयोग से किसानों के लिए जागरूकता अभियान और बैठकें आयोजित करेगी. जिसमें पशुपालन के वैज्ञानिक तरीकों का प्रशिक्षण, चारे की मात्रा, गुणवत्ता और केंद्र सरकार की सहायता योजनाओं का ज्ञान शामिल है.
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