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Scheme: नेचुरल फार्मिंग की इस योजना से किसानों को मिल रहा सीधा फायदा, इन योजनाओं के बारे में भी जानें

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश की सरकार ने किसानों के लिए कई शानदार योजनाओं की शुरुआत की है, जिससे राज्य के किसानों को फायदा हो रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के एक भाग के रूप में राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना शुरू की है, जो कृषि को रोजगार सृजन के साथ जोड़ती है. इस वर्ष अकेले 36 हजार किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है, जबकि 1.98 लाख किसान पहले से ही 35,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर खेती कर रहे हैं.

सीएम ने बताया कि सरकार प्राकृतिक खेती को व्यावसायिक रूप से व्यवहारिक मॉडल बनाने के लिए 1.50 लाख किसानों को मुफ्त सर्टिफिकेशन दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सात जिलों में बागवानी विकास का विस्तार करने के लिए 1292 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश गर्म और ह्यूमीडिटी वाले मौमस की वजह से बागवानी, सिंचाई और मूल्य संवर्धन परियोजना (एचपी शिवा) भी शुरू की है.

400 करोड़ रुपए के फलों का होगा उत्पादन
बताया कि यह पहल छह हजार हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेगी और संतरे, अमरूद, लीची और बेर जैसे फलों की खेती को बढ़ावा देगी. इस पहल से 15 हजार से ज्यादा किसान परिवारों को सीधे फायदा होगा. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत वर्ष 2032 तक प्रतिवर्ष 1.3 लाख मीट्रिक टन फलों का उत्पादन होने की उम्मीद है, जिसका बाजार मूल्य 400 करोड़ रुपये होगा. प्राकृतिक खेती के उत्पादों की बिक्री को सुविधाजनक बनाने तथा किसानों को सही दाम दिलाने के लिए 10 मंडियों में बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है.

किसानों का बकाया सरकार ने चुकाया
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने बागवानी में बड़े सुधार किए हैं. जैसे कि सेब उत्पादकों के लिए बाजार में क्षमता बढ़ाने के लिए यूनिवर्सल कार्टन की शुरुआत करना. बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा बागवानों के बकाया भुगतान के लिए 153 करोड़ रुपये वितरित किए हैं. सेब, आम और खट्टे फलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 25 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बाड़ लगाने के लिए 70 प्रतिशत, अनाज, दलहन, तिलहन और चारा फसलों के बीजों पर 50 प्रतिशत तथा आलू, अदरक और हल्दी के बीजों पर 25 प्रतिशत तक सब्सिडी शुरू की है.

50 हजार किसानों को हुआ फायदा
जेआईसीए योजना के तहत जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर 96.15 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जिसके माध्यम से राज्य में 50 हजार से अधिक किसानों को फायदा हुआ है. इसके अलावा, बाड़ लगाने की परियोजनाओं के माध्यम से एक हजार से अधिक किसानों को मदद देने के लिए सिर्फ दो वर्षों में 19.19 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसपी और प्राकृतिक खेती को समर्थन जैसी पहलों के माध्यम से कृषि, बागवानी और डेयरी को मजबूत करने की वर्तमान राज्य सरकार की समग्र दृष्टिकोण किसानों और बागवानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके समृद्ध भविष्य को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और पूरे भारत में ग्रामीण विकास के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है.

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