नई दिल्ली. भारत भले ही दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में पहली पोजिशन पर है लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन के मामले में कई देशों से पीछे है. एनिमल एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि अगर प्रति पशु उत्पादन बढ़ाने पर ज्यादा से ज्यादा फोकस किया जाए तो दूध उत्पादन के मामले में भारत बहुत आगे चला जाएगा. उन्होंने बताया कि दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि-जलवायु फैक्टर्स आदि को ध्यान में रखकर गोपशु और भैंस ब्रीडिंग नीति तैयार करने की जरूरत है. पशुधन पशुओं में आनुवंशिक सुधार करने की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि दूध उत्पादन क्षमता और भार वहन क्षमता में इजाफा करने के लिए अपने घरेलू क्षेत्रों में सेलेक्टिव ब्रीडिंग के जरिए से गोपशु की राष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण स्वदेशी नस्लों का आनुवंशिक सुधार और संरक्षण किया जाना चाहिए. विदेशी डेयरी नस्लों के साथ कम उत्पादकता वाली नस्लों की क्रॉस ब्रीडिंग से भी फायदा होगा.
यहां पढ़ें एक्सपर्ट ने क्या कहा
1. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए पशु ब्रीडिंग और प्रबंधन तकनीकों में इनावेशन और रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए.
- डेयरी संचालन और टिकाऊ खेती के तरीकों में नये एनर्जी सोर्स के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
- ऐसे कानूनों पर जोर दिया जाए जो गायों-नर और मादा-के कल्याण को ध्यान में रखते हों.
- मादा मवेशियों की देखभाल के लिए अपने विकल्पों की जांच करें जो उत्पादन नहीं कर रहे हैं.
- पशु स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान दिया जाना भी बहुत जरूरी है.
- बीमारियों को दूर करने के लिए उपचार और पशु चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच में सुधार करना होगा.
- डेयरी पशुओं की आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए चारा, साइलेज और सांद्रता सहित संतुलित और पौष्टिक फीड दिया जाए.
- स्वच्छ और आरामदायक वातावरण देने के लिए आवास की स्थिति में सुधार किया जाए. जिससे तनाव कम हो सकता है और उत्पादकता बढ़ सकती है.
- दूध की गुणवत्ता और उपज में सुधार के लिए मशीन से दूध दुहने जैसी स्वच्छ और कुशल दूध देने की प्रथाओं को अपनाना चाहिए.
- जानवरों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध से बचने के लिए इमरजेंसी या आवश्यक होने पर एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करें.
- डेयरी प्रोसेसिंग क्षेत्र में रिसर्च और नई टेक्नोलॉजी की मदद से दूध देने वाले पशुओं के उत्पादन को बढ़ावा दने पर काम किया जाए.
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