नई दिल्ली. भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर बरेली में अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत अनुसूचित जाति के पशुपालकों, उद्यमियों, युवाओं एवं युवतियों के लिए 5 दिवसीय बकरी पालन ट्रेनिंग कैंप की शुरुआत की गई. जहां एक्सपर्ट इस ट्रेनिंग कार्यक्रम का हिस्सा बनने वालों को बकरी पालन से कैसे मोटी कमाई की जा सकती है, इसके बारे में रूबरू करा रहे हैं. बताया गया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बरेली जिले और आसपास के 25 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. जिन्हें अहम जानकारी मिल रही है.
इस दौरान संस्थान की संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने कहा कि बकरी पालन में आज के दौर में कारोबार की असीम संभावनायें हैं. क्योंकि बकरी के मांस की मांग और खपत सबसे ज्यादा है. सामाजिक और धार्मिक दिक्कते भी नहीं हैं. इसका दुग्ध सुपाच्य और औषधीय गुणों से भरपूर है. उन्होंने बकरी पालन व्यवसाय को बड़े कारोबार का रूप देने के लिए कृषक उत्पादक संगठन के निमार्ण पर जोर दिया.
तेजी से बढ़ रही है मांग
उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा भेड़ एवं बकरी पालकों के लिए भेड़ एवं बकरी श्रिया चैटवाट तैयार किया है जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है. इसके अलावा आईवीआरआई ने ऑनलाइन पशु चिकित्सा क्लीनिक तथा टेली कन्सलटेंसी सर्विस की सेवायें उपलब्ध हैं जो बकरी पालकों के लिए बहुत सहायक होगा. इस अवसर पर पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन विभाग के प्रभारी डॉ. मुकेश सिंह ने बताया कि ज्यादातर बकरियां लघु, सीमान्त किसान या भूमिहीनों द्वारा मांस, दूध, त्वचा, बाल/फाइबर और खाद का एवं आजीविका के लिये पाली जाती है. आज के दौर में बढती आबादी, बढती आय, खाद्य वरीयताओं और खाद्य पदार्थों के प्रति जागरुकता के कारण दूध की कीमत, एवं बकरी के मांस की मांग उपभोक्ता तेजी से बढ़ रही है. इसलिये बकरी पालन द्वारा उद्यमिता विकास में असीमित संभावनायें हैं.
इन विषयों पर दी जा रही ट्रेनिंग
इस अवसर पर कार्यक्रम के समन्वयक डॉ हरिओम पाण्डेय ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि इस दौरान प्रतिभागियों को बकरी पालन पर वैज्ञानिक प्रबन्धन, बकरी की प्रमुख नस्लें, मुख्य लक्षण एवं विशेषतायें, बकरियों का चयन, प्रजनन प्रबंधन, बकरियों की प्रमुख बीमारियां, लक्षण, निदान व नियंत्रण, बकरियों के लिये आवास निर्माण व प्रबन्धन, विभिन्न उम्र की बकरियों के लिये आवश्यक आहार की गणना व प्रबन्धन, बकरियों में परजीवी रोग, लक्षण, निदान व कंट्रोल, बकरी के दूध की विशेषतायें व बढ़ते महत्व, बकरी पालन के वेस्ट से वर्मीकम्पोष्ट उत्पादन, एकीकृत बकरी पालन एवं उससे होने वाला लाभ व लघु एवं मध्यम बकरी पालन का अर्थशास्त्र पर तकनीकी जानकारी प्रदान की जायेगी. कार्यक्रम का संचालन पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा हरिओम पांडेय द्वारा किया गया.
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