नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले पशुपालक यह बात अच्छे से जानते हैं कि उनका पशु अगर दूध उत्पादन कम कर दे तो डेयरी फार्मिंग में उन्हें नुकसान उठाना पड़ जाता है. इसलिए पशुपालक कभी भी नहीं चाहते कि उनका पशु दूध उत्पादन कम करे. ठंड का मौसम शुरू हो चुका है आमतौर पर पशु ठंड में भी दूध उत्पादन कम कर देता है. एक्सपर्ट की मानें तो गाय-भैंस के दूध उत्पादन में 15 से 20 फ़ीसदी तक कमी देखी जाती है. ऐसा इसलिए होता है कि तापमान और आंतरिक ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिए पशु को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे में डेयरी फार्मिंग करने वाले पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ता है.
हालांकि ऐसा नहीं है कि ठंड में पशुओं के दूध उत्पादन में कमी को रोका नहीं जा सकता है. पशुओं की देखभाल ठीक तरह से की जाए तो इसे रोका भी जा सकता है. साथ ही पशुओं को संतुलित और पौष्टिक आहार देकर भी दूध उत्पादन की कमी को रोका जा सकता है. पौष्टिक आहार देने से पशुओं को एक्सट्रा एनर्जी देनी होती है. पशुओं को हमेशा ताजा और साफ पानी उपलब्ध कराना चाहिए और उन्हें स्वच्छ और हेल्दी वातावरण में रखकर भी उत्पादन की कमी को रोका जा सकता है.
पशुओं को क्या-क्या खिलाना चाहिए
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि ठंड में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं का संतुलित आहार देना बहुत ही अहम है. सही तरह से देखभाल करना भी बहुत जरूरी है. पशुओं को अच्छी क्वालिटी का सूखा चारा जैसे रिजिका, सीवण घास, बाजारा, कड़वी और गेहूं की तूड़ी देना चाहिए. इससे पशुओं को ज्यादा दूध उत्पादन करने में मदद मिलती है. उन्हें हरा चारा भी खिलाना चाहिए. पशु गेहूं का दलिया ग्वार बिनोला चना खल भी ठंड में जरूर खिलाना चाहिए. पशुओं को ठंडी हवा से बचाना बेहद जरूरी होता है. ताकि उन्हें बीमारी से बचाया जा सके. वहीं ये भी ध्यान दें कि उनके बाड़े में हवा का न जाना होना चाहिए. पशुओं का आराम करने के लिए पर्याप्त जगह की जरूरत भी होती है.
पशुओं को साफ पानी जरूर पिलाएं
पशुओं को नियमित अंतराल पर उचित समय पर दूध दूहना चाहिए. दूहने से पहले और बाद में अपने हाथ और पशुओं के थानों को साफ कर लेना चाहिए. पशुओं का हमेशा ताजा और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना चाहिए. क्योंकि पशुओं के दूध में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. पानी की कमी होने के कारण दूध उत्पादन घट जाता है. पशुओं को बीमारियों से बचने के लिए नियमित टीकाकरण भी करना चाहिए. अगर पशु बीमार हो जाए तो तुरंत पैसे से मिलकर पशुओं का इलाज करना चाहिए, नहीं तो दूध उत्पादन में कमी हो सकती है.
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