नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें 1500 मुर्गे-मुर्गियों को पालकर सालाना 50 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है. पोल्ट्री फार्मिंग में सबसे जरूरी मुर्गे-मुर्गियों को दिया जाने वाली फीड है. अगर फीड में तमाम जरूरी पोषक तत्व नहीं हैं तो फिर अंडों का उत्पादन प्रभावित होता है. इसके साथ ही मुर्गियां का वजन भी ज्यादा नहीं बढ़ता. इस वजह से मीट का प्रोडक्शन पर भी असर पड़ता है. इसलिए पोल्ट्री संचालकों को हमेशा ही उनकी फीड पर ध्यान देना चाहिए. तभी फायदा होगा.
एक्सपर्ट का कहना है कि बेहतर कुक्कुट नस्लों में वृद्धि दर अधिक होती है और ये देशी कुक्कुट की तुलना में अधिक अंडे भी देती हैं. इसलिए, इन पक्षियों की आनुवांशिक क्षमता का अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए उन्हें हाई क्वालिटी के के पोषण की आवश्यकता होती है. विशेष रूप से, नर्सरी में पालन करने वाले कुक्कुट को खुले क्षेत्र में नहीं रहते हैं. इसके चलते खुद से वो पोषक तत्व वो हासिल नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उन्हें संतुलित पोषक तत्व दिया जाना चाहिए.
6 सप्ताह तक ये देना है जरूरी
पोल्ट्री को संतुलित फीड देने की जरूरत होती है. जिसमें मेटाबोलिज्म एनर्जी, प्रोटीन बेहद ही अमह होता है. इसके अलावा अमीनो एसिड, सूक्ष्म और लॉन्ग मिनरल्स और सभी विटामिन की आवश्यक मात्रा होनी चाहिए. जिससे ये नस्ल अच्छा शरीर भार हासिल कर सकें. इन पोषक तत्वों की आवश्यकता काफी हद तक कुक्कुट नस्ल पर निर्भर करती है. इस परिसीमित पालन की अवधि के दौरान कुक्कुट को केवल अनाज देना पर्याप्त नहीं होता है. इसके चलते शरीर पूरी तरह से विकसित भी नहीं हो पाता है. यही वजी है कि लंगड़ापन, टोरटिकोलिस और त्वचाशोथ, जैसे लक्षण हो सकते हैं. इसलिए, प्रारंभिक 6 सप्ताह के दौरान चूजों को संतुलित / संयोजित खाद्य खिलाया जाना चाहिए.
ताकि आसनी से ले सकें फीड
एक्सपर्ट के मुताबिक ब्रूडर जहां हों वहां पर समान रूप से चूजों के फीड के बर्तन में फीड दिया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है कि झुंड में छोटे से छोटे चूजे तक भी फीड आसानी से पहुंच सके. फीड दिन में कम से कम 2 बार दिया जाना चाहिए और प्रत्येक समय केवल फीड का बर्तन का 75 फीसदी भाग ही भरना चाहिए. क्योंकि फीड बहुत महंगा होता है. इसलिए इसे खराब या बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए. फीड की बोरियों को शुष्क, हवादार और रोडेंट्स से फ्री कमरे में उचित प्रकार से रखा जाना चाहिए. फीड के बर्तन में खाद्य देते समय कोई कूड़ा-करकट/तृण सामग्री ना हो. जैसे-जैसे पक्षी बड़े होते हैं, बर्तन की ऊंचाई भी बढ़ाई जाती है. खाद के बर्तन का ऊपरी हिस्सा पक्षी की औसत पीठ के स्तर पर स्थित होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पक्षियों को फीड लेने में किसी तरह की कोई दिक्कत न आए.
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