Home पोल्ट्री Poultry Farming: मुर्गियों में AI से कैसे करते हैं ब्रीडिंग, क्या है इसका फायदा, जानें यहां
पोल्ट्री

Poultry Farming: मुर्गियों में AI से कैसे करते हैं ब्रीडिंग, क्या है इसका फायदा, जानें यहां

poultry farm project
चूजों की प्रतीकात्म तस्वीर

नई दिल्ली. घर-आंगन में मुर्गीपालन से ज्यादा इनकम हासिल की जा सकती है. ऐसा करने के लिये मुर्गीपालकों को मुर्गियों को संतुलित आहार देना चाहिए. संतुलित आहार को मक्का, चावल, बाजरा आदि अनाज का दलिया, चोकर, चावल की पलिश, खल, मिनरल मिक्सचर आदि का को बराबर से मिलाकर घर पर ही तैयार किया जा सकता है. चूजों को 8 हफ्ते की उम्र तक भरपेट संतुलित आहार देना चाहिये, ताकि उनकी बढ़वार अच्छी हो. वहीं 8 सप्ताह बाद दिन में उन्हें बाहर खुला छोड़ देना चाहिये. दिन भर वे घर के आंगन तथा खेतों में अन्न के दाने, बीज, कीड़े-मकोड़े, घास की कोमल पत्तियों एवं घर की जूठन खाकर अपना पेट भर सकते हैं.

वहीं ब्रीडिंग भी आडियल पोल्ट्री फार्मिंग के लिये जरूरी है. बेहतर ब्रूडिंग व्यवस्था होना आवश्यक है. जिसमें अंडे सेने, चूजे पैदा होने के समय से लेकर अंडा प्रोडक्शन चक्र की समाप्ति पर मुर्गियों की बिक्री होने तक का पूरा प्रबन्ध होना चाहिए. बताते चलें कि मुर्गीयो में ब्रूडिंग दो प्रकार से होता है. एक नेचुरल तरीका है और दूसरा आर्टिफिशियल इंसेंशन के जरिए.

नेचुरल ब्रीडिंग का तरीका क्या है
एक्सपर्ट कहते हैं कि नेचुरल तरीके के द्वारा ब्रीडिंग में एक मुर्गा 15 से 20 मुर्गियों के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसमें अधिक उम्र वाले मुर्गे की तुलना में जवान मुर्गे के साथ अधिक मुर्गियां छोड़ी जा सकती हैं. बारिश के समय में एक मुर्गे के साथ मुर्गियों की संख्या ज्यादा रख सकते हैं. जबकि सर्दियों तथा अधिक गर्मियों में यह संख्या कम हो जाती है. मुर्गियों में आमतौर पर चार तरह से मुर्गे को छोड़ा जाता है. बाड़े के अंदर, ग्रुप में, स्टड के जरिए और अकेले में.

कृत्रिम गर्भाधान कैसे किया जाता है
इसमें मुर्गी में प्रजनन की यह नयी विधि है, इसका फायदा यह है कि किसी एक अच्छे मुर्गे से मुर्गियों का प्रजनन बड़ी संख्या में किया जाता है. तथा नुकसान भी कम होता है. इस मेथड में मुर्गे के मल द्वार को दबाकर उससे हासिल सीमेन को किसी चीज में इकट्ठा करते हैं. भारी नरल के पक्षियों से एक बार में 0.75-1.00 मिली तथा हल्की नस्ल में 0.4-0. 6 मिली सीमेन मिलता है. इस सीमेन की एक बूंद मुर्गी की योनि में डालते हैं, जिसमें 0.02-0.05 मिली सीमेन होता है. आखिरी में 0.25 मि.ली. वीर्य 10 मुर्गियों के लिए पर्याप्त होता है. इस प्रकार प्रत्येक चौथे या पाँचवें दिन गर्भाधान करने से मुर्गी में अच्छी उर्वरता बनी रहती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles