नई दिल्ली. अक्सर किसानों का यह मानना है कि और जो सही भी मालूम पड़ता है कि तालाब में यदि ज्यादा मात्रा में जीरा डाला जाए और कुछ महीने में ही यदि इसे निकालकर बेचना शुरू कर दिया जाए तो मत्स्य पलकों को जल्दी और ज्यादा फायदा मिलेगा. यही वजह है कि या मेथड काफी प्रचलित भी हो रहा है लेकिन इसमें भी ध्यान रखने वाली बात यह है कि मछलियां बहुत छोटी ना रह जाए. क्योंकि तालाब में मछलियों की जगह और भोजन निश्चित है. इसलिए पाली जाने वाली मछलियों का अनुपात भी निश्चित होना चाहिए.
तालाब में सभी छह प्रकार की मछलियों का पालन करना चाहिए. ताकि तालाब में सभी जगह का समुचित उपयोग हो सके. साथ ही सभी तरह के भोजन जो मछली पालक की ओर से तालाब में डाले गए हैं, उसका उपयोग भी हो सके. एक्सपर्ट कहते हैं कि यदि छह तरह की मछलियों का संचयन नहीं कर रहे हैं तो कम से कम तालाब में तीन प्रकार की मछलियों को जरूर पालना चाहिए.
किस मछली का जीरा कितना डालें
देखा गया है कि सिल्वर कार्प का अनुपात अधिक होने पर कत्ला की बाढ़ पर असर पड़ता है. इसलिए इसकी मात्रा कत्ला से कम रखनी चाहिए. यदि तालाब में ग्रास कार्य के लिए उपयुक्त घास नहीं है तो ग्रार्स कार्प का संचयन कम करना चाहिए. सुविधा के अनुसार 3 या फिर 6 प्रकार की मछलियों का संचयन कर करना बेहतर होता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि कत्ल रोहू मृगल 40, 30, 30, कत्ला, रोहू, कॉमन कार्प को 30, 30, 15, 25, कत्ला, रोहू, मृगल, कॉमन कार्प, ग्रास कार्य को 30, 15, 25, 20, 10, और कत्ला सिल्वर कार्प, रोहू, मृगल, कामन कार्प और ग्रास कार्प को 10, 25, 15, 20, 20, और 10 के अनुपात में पालें.
कितना जीरा तालाब में डालना बेहतर है
एक्सपर्ट कहते हैं कि जो मछलियां खाने में स्वादिष्ट हों उनका संचयन जरूर करना चाहिए. जिसका जीरा आसानी से उपलब्ध हो, जिसकी मांग बाजार में ज्यादा हो, जिसकी बढ़त तालाब में अच्छी हो उसका का भी संचयन करें. तालाब के लिए उपयुक्त मछली रोहू, कत्ला, मृगल कामन कार्प की मांग भी ज्यादा है और खाने में यह स्वादिष्ट भी हैं. इसके अलावा सिल्वर कार्प भी पाल सकते हैं. तालाब में प्राकृतिक रूप से घास उपलब्ध है तो ग्रास कार्य भी पालें. मछलियों के बीज की मात्रा उनकी लंबाई पर निर्भर करती है. अगर एक जीरा डाल रहे हैं तो आधा एकड़ के लिए 5000 की संख्या में डालें और एक एकड़ के लिए 10000 डालें. अगर ढाई इंच का जीरा डाल रहे हैं तो आधा एकड़ में 2000 जीरा डालें और 4000 प्रति एकड़ की दर से.
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