नई दिल्ली. जब पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है तो साइलेज और ‘हे’ के जरिए इसकी कमी पूरी की जाती है. बात की जाए ‘हे’ की तो यह सुखाया हुआ चारा होता है जोकि तैयार किये जाने के बाद, पोषकमान में बिना किसी खास नुकसान के गोदाम में रखा जा सकता है. सुखाने की प्रक्रिया बहुत तेजी से होनी चाहिए. उत्तर भारत में ‘हे’ तैयार करने का वक्त मार्च-अप्रैल में होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इस समय धूप में तेजी होती है और वायुमण्डल में आद्रता कम होती है. इस वजह से ‘हे’ तैयार करने में मदद मिलती है. हालांकि अक्टूबर के महीने में भी कुछ फसलों से ‘हे’ तैयार की जाती है.
‘हे’ बनाने के लिए चारे को अच्छी प्रकार और समान रूप से सुखाना बहुत बेहद जरूरी होता है. आमतौर पर धूप या हवा में सुखाकर ही ‘हे’ तैयार करते हैं. इस विधि में खड़े चारे को खेत से काटने के बाद जमीन पर 25-30 सेमी मोटी सतहों या छोटे-छोटे ढेरों में फैलाकर धूप में सुखाया जाता है.
इस तरह से करें तैयार
बता दें कि यदि धूप अधिक तेज न हो तो हरे चारे को अधिक पतली सतहों में फैलाते हैं. जब पौधों की ज्यादातर ऊपरी पत्तियां सूख जाती हैं और कुछ कुरकुरी हो जाती हैं तो चारे को इकट्ठा कर 5 किलोग्राम भार तक के ढेर बना लेते हैं. जैसे ही छोटे ढेरों के ऊपर वाले पौधों की पत्तियां सूख जाए लेकिन लेकिन मुड़ने पर एक दम न टूटें ऐसी ढेरियों को पलट देना चाहिए. चारे की ढेरियों को ढीला रखा जाता है, जिससे उसमें हवा पास होती रहे. 15 से 20 प्रतिशत नमी तक ढेरों को सूखा कर बाद में इकट्ठा कर लेते हैं और यदि कटाई के लिए तुरन्त जरूरत न बाड़े / गोदाम / छप्पर में हो तो जमा कर लेते हैं. हे बनाने के लिए बरसीम, रिजका, लोबिया, सोयाबीन, जई, सुडान आदि से अच्छी हे तैयार होती है. अक्टूबर में मक्का और ज्वार से भी ‘हे’ तैयार किया जा सकता है. पतले मुलायम तनों तथा अधिक पत्तियों वाली घासों का हे सख्त घासों की अपेक्षा अच्छा होता है.
कटाई का ये समय है अच्छा
फसलों के काटने की अवस्था का ‘हे’ की क्वालिटी पर काफी प्रभाव पड़ता है. आमतौर पर ‘हे’ बनाने के लिए कटाई पुष्पावस्था के शुरू में करनी चाहिए. अधिक पकी हुई फसलों से तैयार किया हुआ ‘हे’ अच्छा नहीं होता है. अधिक पकने पर प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस व पोटाश की मात्रा तनों में कम हो जाती है. फसल कटाई की प्रक्रिया तेजी से करनी चाहिए. फसल की कटाई सुबह 8-10 बजे के बाद ओस समाप्त हो जाने पर ही करना चाहिए. चारा अधिक सुखाने से प्रोटीन तथा कैरोटीन तत्वों का नुकसान होता है. जबकि कम सुखाने से स्टोरेज के दौरान ताप पैदा होता है. जिससे उसका पोषकमान कम हो जाता है.
‘फीड ब्लाक’ बनाकर कर सकते हैं स्टोर
फार्म में उपलब्ध सूखा चारा, भूसा, सूखी पत्तियों आदि को संरक्षित और स्टोर किया जा सकता है, लेकिन सूखा चारा एवं भूसा बहुत अधिक स्थान घेरते है. इसलिए स्टोरेज की समस्या पैदा होती है. इस समस्या से निबटने के लिये भूसा. सूखे चारे, तथा पत्तियों को ऐसे ही या फिर चोकर, खनिज मिश्रण, शीरा आदि मिश्रित करके मशीन द्वारा उच्च दबाव पैदा करके चारे के ब्लॉक बनाये जाते हैं. जो आकार मे छोटे हो जाते हैं. इन्हें छोटे स्थान पर संरक्षित तथा आसानी से ट्रांसफर भी किया जा सकता है. इस तरह से संरक्षित चारे को पशु बड़े चाव से खाते हैं.
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