नई दिल्ली. बकरी पालन अब बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. कई बीमारियों में बकरी का दूध लाभकारी होने के चलते आज देहात ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी बकरी पालन किया जा रहा है. बकरियों की ऐसी नस्लें भी हैं, जो दूध के साथ मीट के लिए बहुत फेमस हैं. आज हम बात कर रहे हैं, छत्तीसगढ़ की एक नस्ल की, जो मीट और दूध के लिए जानी जाती है. बकरियों को पालकर एक से डेढ़ साल में उनसे अच्छी पैदावार ली जा सकती है. बकरी के बच्चे एक से डेढ़ साल में पालकर बेच सकते हैं. पशु पालक अपने बकरे-बकरियों को अलग-अलग चारा खिलाते हैं. एक तो खुले मैदान, खेत और जंगलों में उन्हें चाराया जाता है. जबकि जानकार इसे ही बकरियों की जरूरत को पूरा करने का सबसे अच्छा और बेहतर तरीका बताते हैं. इसके अलावा आजकल बकरियों चराकर, खूंटे पर बांधकर भी चारा खिलाया जाता है.
बकरियां दूसरे बड़े जानवरों की तरह से एक बार में पूरा चारा नहीं खाती हैं. बकरियों को थोड़ा-थोड़ा करके दिन में चार से पांच बार इन्हें खाने के लिए चारा चाहिए होता है. वहीं बकरियों का चारा तीन तरह का होता है. बकरियों को हरा चारा, सूखा चारा और दाना खिलाया जाता है. लेकिन इस सब के साथ यह ख्याल रखना भी बेहद जरूरी होता है कि बकरी जो खा रही है वो ठीक से हजम हो रहा है या नहीं.
इसलिए जरूरी है सूखा चारा: बकरियों को दिए जाने वाले सूखे चारे की बात की जाए तो इसमें अरहर, चना और मटर का भूसा, सानी में लगाकर गेहूं का भूसा आदि मुख्य है. वहीं मूंग, उड़द की सूखी पत्तियां, सूखी हुई बरसीम, चरी, रिजका. लोबिया, मक्का, नेपियर और बरसीम, चरी, रिजका को अगर सुखाकर रखा गया है तो बकरियों के लिए ये चारा बहुत अच्छा होगा.
हरे चारे की खासियत: बकरियां ही नहीं गाय-भैंस के खाने में भी हरे चारे को बेहद अहम माना गया है. विशेषज्ञों की मानें तो हरे चारे में प्रोटीन, खनिज, लवण और विटामिन की मात्रा भरपूर पाई जाती है. जबकि बकरियों द्वारा खाया जाने वाला हरा चारा कई रूप में मिल सकता है. जैसे कई तरह की घास, पेड़-पौधों की पत्तियां और फलियां, पत्तेदार सब्जियां, बरसीम और चरी आदि के रूप में. साधारण नमक, क्रूड प्रोटीन, खनिज मिश्रण और संपूर्ण पाचक तत्व मिलते हैं.
दाना देना इसलिए जरूरी: बकरियों को जरूरत के मुताबिक सभी जरूरी मिनरल देना चाहते हैं तो उन्हें दाना भी खिलाना चाहिए. बकरियों के लिए जितना जरूरी सूखा और हरा चारा है उससे कहीं ज्यादा दाना भी है. दाना खिलाने से ही दूध की क्वालिटी भी बढ़ती है. दाना बनाने के लिए जौ, मक्का, बाजरा, सरसों, अलसी, तिल, मूंगफली की खल दिया जा सकता है. बकरियों का खानपान बेहतर होगा तो उनसे दूध और मीट भी अच्छा मिलेगा.
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