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Cow Husbandry: गायों से ही निकलेगा उनपर होने वाला खर्च, सरकार ने बताया क्या-क्या काम होगा

सदैव स्वस्थ एवं सुडौल शरीर वाले पशु ही खरीदना चाहिए.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. अक्सर लोग गाय को तभी तक पालते हैं जब उन्हें इससे दूध मिलता रहता है. जब गाय दूध का उत्पादन कम कर देती है तो लोग इसे न खिला पाने की स्थिति में डेयरी फार्म से या फिर घर से बाहर छोड़ देते हैं. वहीं बछड़े को भी छोड़ दिया जाता है. इसके चलते समस्याएं शुरू हो जाती हैं. गौवंश अपना पेट भरने के लिए किसानों की फसलों को खा जाते हैं. इससे किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है. जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं फसलों को बचाने के लिए किसान कांटे वाले तार लगवाते हैं, इससे उनकी फसल की लागत बढ़ जाती है और मुनाफा कम हो जाता है.

बता दें कि गौवंश की वजह से अक्सर रोड पर एक्सीडेंट भी होता है. कई बार गोवंश इसमें जान गंवा देते हैं तो कई बार आम इंसानों की इसमें मौत होती है. इन सब समस्याओं को समझते हुए सरकारों ने गौशालाएं बनवा रही हैं. ताकि गौवंश को सहारा मिल सके और इससे होने वाली परेशानियों को कम किया जा सके. इसके लिए सरकार अच्छा खास बजट खर्च करती है. वहीं सरकार इस खर्च को कम करने के लिए गौशालाओं में पल रही गायों के गोबार से बायो गैस बनाने भी काम कर रही हैं. ताकि उन्हीं के गोबर से खर्च को निकालकर गायों पर खर्च किया जाए. मध्य प्रदेश में स्वावलंबी गौशाला कामधेनु निवास स्थापना नीति के तहत साल 2025 के लिए कुछ टारगेट तय किए हैं. आइए जानते हैं.

क्या-क्या काम होगा.
गौशालाओं में न्यूनतम 5 हजार गौवंश का पालन अनिवार्य होगा. इसमें 30 फीसदी गौवंश उन्नत दुधारू नस्ल के होंगे.

हर 5 हजार गौवंश के लिए अधिकतम 125 एकड़ शासकीय भूमि उपयोग के अधिकार (User Rights) के आधार पर दी जाएगी.

एक हजार गौवंश की अतिरिक्त वृद्धि पर 25 एकड़ अतिरिक्त भूमि और व्यवसायिक गतिविधियों के लिए 05 एकड़ अतिरिक्त भूमि दी जाएगी.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा लैंड बैंक तैयार किया जाएगा.

भूमि पशुपालन एवं डेयरी विभाग के स्वामित्व में रहेगी.

मध्यप्रदेश गौसंवर्धन बोर्ड और गोपालक संस्था के मध्य उपयोग अनुबंध (User right) का अनुबंध अमल में लाया जाएगा.

भूमि पर किसी भी प्रकार का विकास कार्य (जैसे फेसिंग, जल प्रबंधन, बिजली, मार्ग आदि) गोपालक संस्था द्वारा स्वयं के व्यय पर किया जाएगा.

कोई भी पंजीकृत सस्था जैसे कि फर्म, ट्रस्ट, सोसायटी, कंपनी अथवा उनके संघ (Consortium) इस योजना में भाग ले सकते हैं.

ज्यादा से ज्यादा 5 संस्थाओं का संघ (Consortium) मान्य होगा. इससे अधिक संख्या वाले संघ को अयोग्य माना आएगा.

परियोजना में पंच गव्य, बायोगैस, जैविक खाद, नस्ल सुधार, दूध प्रोसेसिंग, सौर ऊर्जा, बायोगैस, पर्यटट, आयुष आदि व्यवसायिक गतिविधियों अनुमानित है.

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