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Dairy: डेयरी पशुओं को बारिश के मौसम में बीमारियों से कैसे बचाएं, यहां पढ़ें क्या कर सकते हैं उपाय

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. गर्मी के बाद बारिश का इंतजार किसे नहीं रहता है. बारिश जहां राहत लाती है तो वहीं इसके साथ कुछ परेशानियां भी आती हैं. खासतौर पर पशुपालन करने वाले किसानों के सामने पशुओं को बीमारी से बचाने की चुनौती रहती है. खासकर डेयरी पशुओं में कई घातक बीमारियां इस मौसम में होने का खतरा रहता है. आमतौर पर भारत में, मानसून या बरसात का मौसम जून से सितंबर तक रहता है और जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में बारिश होने लग जाती है लेकिन इस साल की बात करें तो जून के आखिरी में ही बहुत से इलाकों में बारिश शुरू हो गई थी.

बताते चलें कि दक्षिण भारत में उत्तर भारत की तुलना में अधिक वर्षा होती है और पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक वर्षा होती है. वहीं मानसून के दौरान, नमी बढ़ जाती है और शेड के अंदर, हवा, गर्मी और पशुओं के मल के कारण इसमें और ज्यादा इजाफा हो जाता है. जिससे माइक्रोक्लाइमेट खराब हो जाता है जो पशुओं का आराम हराम कर देता है. इस दौरान तनाव, चोट, संक्रामक रोग, परजीवी आदि जैसी विभिन्न समस्याओं को जन्म देता है.

बारिश का पानी शेड में न आए
एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं को भारी बारिश, हवा और ओला से खुद को बचाने के लिए आश्रय की आवश्यकता होती है. हमेशा ही पशुओं के लिए ऐसे शेड को तैयार करना चाहिए, जहां पर बारिश का पानी अंदर न आए. शेड को इस तरह डिजाइन करें कि पानी की बछौर तक न आए और बारिश का पानी भी शेड के अंदर न जमा होने दें. अगर शेड जमीन से थोड़ा उपर बनेगा तो फिर शेड के अंदर बारिश का पानी नहीं आ सकेगा.

इन बीमारियों का होता है खतरा
दूध के पशुओं के कई वायरस, बैक्टीरिया और अन्य संक्रमणों के संपर्क में आने का जोखिम मानसून के दौरान किसी भी अन्य मौसम की तुलना में दो गुना अधिक होता है. हवा में नमी की मात्रा अधिक होने से हानिकारक सूक्ष्म जीव पनपते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई तरह की बीमारियां फैलती हैं. खुरपका और मुंहपका रोग, एंथ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर और रक्तस्रावी सेप्टिसीमिया जैसी बीमारियाँ मौसम संबंधी स्थितियों से जुड़ी हैं.

ये पशु जल्द हो जाते हैं बीमार
एक्सपर्ट का ये कहना है कि जिन पशुओं में सबसे ज्यादा इस मौसम का खतरा रहता है, उसमें युवा पशु, बीमार पशु/रोग के इतिहास वाले पशु, गर्भवती पशु, दूध पिलाने वाले पशु और भारी पशु शामिल हैं. इनकी खास निगरानी करना जरूरी होता है. क्योंकि इन्हें जल्दी से बीमारी लग जाता है. अगर एक बार ​बीमार लग गई तो फिर मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं.

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