नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में कई ऐसी बीमारियां, जिनका एक बार फैलाव होने पर मुर्गियों की मौत होने लग जाती है. जिसके नतीजे में मुर्गी पालक को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ जाता है. पोल्ट्री चेचक भी ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से पोल्ट्री कारोबार को नुकसान पहुंचता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि कुक्कुट चेचक एक समान्य रूप से मौजूद, धीमी गति से फैलने वाली, लार्ज एरिया में पाया जाने वाली वायरस बीमारी है. इस रोग में त्वचा, सांस एवं पाचन तंत्र की नलीकाओं में मस्सा का इजाफा हो जाता है. आर्थिक तौर पर इस बीमारी का बहुत महत्व है. क्योंकि इसके कारण शारीरिक ग्रोथ और अंडे के उत्पादन दर में कमी आ जाती है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि त्वचा पर दाने आना, चेचक रोग का एक मुख्य लक्षण हैं. जबकि दूसरे क्लीनिकल लक्षण के द्वारा भी पता लगाया जा सकता है. वहीं प्रयोगशाला में लीज़न से नमूना लेकर स्लाईड पर स्मीअर बना कर, जिम्सा स्टेन से स्टेन किया जाता है. ईओस्नोफिल खून की कोशिका के आखिरी भाग में इंक्लूज़न बॉडी दिखाई देती है. जिसे बोरल बॉडी कहा जाता है. बोरल बॉडी चेचक बिमारी को सुनिश्चित करने के लिए जांच की आवश्यकता होती है.
रोग का इलाज और रोकथाम कैसे करें
- ब्रॉड्स्पैक्ट्रम एंटीबायोटिक दवा और एंटीसेप्टिक लोशन चेचक के दानों (घाव) पर लगाने से सेकेंड्री इंफेक्शन को नियंत्रित किया जा सकता है. इससे जल्दी से बीमारी खत्म हो सकती है.
- अगर चेचक का प्रकोप होता है और 30 प्रतिशत से कम मुर्गीयां चेचक रोग से प्रभावित हैं तो स्वस्थ मुर्गीयों को तुरंत ही रोग ग्रसित मुर्गीयों से अलग करना चाहिए. ताकि बची मुर्गियों को बचाया जा सके और हेल्दी मुर्गीयों का तुरंत टीकाकरण कराया जाना चाहिए ताकि उन्हें बीमारी से बचाया जा सके.
- दो प्रकार के चेचक के टीके बाज़ार में उप्लब्ध हैं. (पीजन पॉक्स एवम् फाऊल पॉक्स)। पीजन पॉक्स टीका, फाऊल पॉक्स टीका के तुलना में कम हानीकारक होता है लेकिन इसमें मात्र 6 महीने तक ही चेचक रोग रोधक क्षमता होती है. आखिरी 6 माह बाद पुनः टीकाकरण कराने की ज़रूरत होती है. फाऊल पॉक्स एक लम्बी अवधि तक चेचक के खिलाफ रोग रोधक क्षमता देता है. अगर टीकाकरण सही तरीके से नहीं किया गया तो समूह में बीमारी फैल सकती है. आमतौर पर चेचक टीकाकरण 6 से 8 सप्ताह के आयु वर्ग के मुर्गीयों में अंतः क्रिया या विंग वेब विधि द्वारा किया जाता है.
- मुर्गियों के घर की सफाई सोडीयम हाइड्रॉक्साईड (1:500), क्रेसोल (1:400) और फीनॉल (3%) से करने पर रोग के रोकथाम में मददगार साबित होता है.
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