Home पोल्ट्री Poultry: पोल्ट्री के बिजनेस में उतरना चाहते हैं तो इन खास मुर्गियों की नस्लों के बारे में पढ़ लें
पोल्ट्री

Poultry: पोल्ट्री के बिजनेस में उतरना चाहते हैं तो इन खास मुर्गियों की नस्लों के बारे में पढ़ लें

chicken breed, Chicken Rate, Chicken Market, Chicken Price, Chicken Feed
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भारत में क्षेत्र, राज्यों से संबंधित बहुत सारे चिकन ब्रीड्स हैं. इन नस्लों की अपनी अपनी विशेषताएं हैं. यदि आप पोल्ट्री फार्म बिजनेस को करना चाहते हैं तो इन चिकन ब्रीड्स की जानकारी होना आपके लिए बेहद जरूरी है. क्योंकि नस्लों की जानकारी ही इस व्यापार को प्रोडक्टिव बनाती है. जिससे आपको खूब मुनाफा होता है. यहां आज कुछ खास नस्लों की मु​र्गियों की बात कर रहें जो इस व्यापार में आपको फायदा पहुंचा सकती हैं.

मीट और अंडों के लिए होता है पालन
चटगांव, मलय पोल्ट्री नस्ल, ऊंचाई में ऊंची होती है. इस नस्ल के मुर्गे 2.5 फीट तक लंबे और 3.5 किलो तक वजन रखते हैं. उनकी पीकॉम्ब छोटी और गर्दन लंबी होती है. इस नस्ल की सबसे खास बड़ी खासियत है कि इनका पालन मीट और अंडे दोनों की आपूर्ति के लिए किया जाता है. मुर्गे का भार जहां 4 से 5 किलो तक हो सकता है. वहीं मुर्गियों का भार ढाई से 4 किलो तक हो सकता है. इस नस्ल की मुर्गी-मुर्गियों की गर्दन तो लंबी होती है. पूंछ छोटी और भरी हुई होती है. इनकी लोकप्रिय किस्मों की बात की जाए तो सफेद, काले, गहरे भूरे रंग और भूरे रंग की होती हैं. पीले रंग के पैर सीधे एवं काफी मजबूत होते हैं.

लड़ाने के लिए होता है इस्तेमाल
असली नस्ल की मुर्गी, ये इंडिया ब्रीड्स भारत के अलावा ईरान में भी पाई जाती है. जिसे वहां किसी अन्य नाम संबोधित किया जाता है. कहते हैं कि सबसे पहले इस नस्ल का प्रयोग मानव जाति द्वारा मुर्गों को लड़ने के लिए किया जाता था. इसलिए नस्ल झगड़ा करने के लिए जानी जाती हैं. इस प्रकार मुर्गियां बहुत कम उम्र से ही आपस में लाना शुरू कर देती हैं और मृत्यु होने तक लड़ती रहती हैं. इस चिकन ब्रीड की अंडा देने की क्षमता काफी कम होती लेकिन फिर भी यह असील की किस्म पर निर्भर करता है. इस नस्ल की मुर्गी मुर्गियों की गर्दन लंबी और पैर मजबूत चमकदार बाल होते हैं.

बहुत स्वादिष्ट होता है मीट
कड़कनाथ मध्य प्रदेश में इसे काली मासी के नाम से भी जाना जाता है. या नस्ल मुख्यता अनुकूलनशीलता के लिए जानी जाती है. यह हर मौसम में जलवायु में अपने आप को जल्दी से ढाल लेती है. इस नस्ल की मुर्गियों का मीट काले रंग का बहुत ही स्वादिष्ट होता है. इस नस्ल की मुर्गियों के मीट में 25 फीसदी तक प्रोटीन होता है. जबकि कोलेस्ट्रॉल 0.5% ही होता है. जबकि अन्य में 25 फ़ीसदी तक कोलेस्ट्रॉल होता है. इन मुर्गियों के त्वचा, चोंच, पैर की उंगलियों और टांगों का रंग स्लेटी होता है.

घरों में पाला जा सकता है
ग्राम प्रिय नस्ल हैदराबाद स्थित अखिल भारतीय समिन्वत अनुसंधान परियोजना के तहत भारत सरकार द्वारा विकसित चिकन ब्रीड है. इस नस्ल को खास तौर पर घरों के पिछवाड़े में पालने के लिए विकसित किया गया. यही कारण की ग्रामीण इलाकों में किसानों के द्वारा इस नस्ल का पालन आधिकारिक तौर पर किया जाता है. इसकी रंगीन नस्ल का पालन खासतौर मीट और अंडे और मीट दोनों के लिए किया जाता है. इस प्रकार की मुर्गियां 1 साल में 210 से 225 संडे तक दे देती हैं. मुर्गियों का भार 1.5 से दो किलो होता है.

7 महीने में देना शुरू कर देती हैं अंडे
पंजाब ब्राउन नस्ल पंजाब और हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में पाई जाती है. इनका पालन पंजाब हरियाणा के बड़े छोटे दोनों प्रकार के किसानों द्वारा किया जाता है. शुरू में इनका पालन केवल मीट के लिए किया जाता था लेकिन बाद में आजीविका चलाने जरिया बना दिया गया. इनके पंखों का रंग भूरा, लाल और उन पर काले रंग के धब्बे होते हैं. मुर्गे का भार 1 किलो से 2 किलो के बीच होता है. मुर्गियों का भार एक से डेढ़ किलो के बीच होता है. यह अपनी उम्र में 5 से 7 महीने में अंडे देना शुरू कर देती हैं. 60 से 80 के बीच अंडे देती हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पोल्ट्री

Egg Production: क्या आप जानते हैं मुर्गी सुबह किस वक्त देती है अंडा, पहले करती है ये काम

मुर्गियों के अंडा देने को लेकर पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि...