Home पशुपालन Animal Husbandry: गर्मी में सूखे के दौरान किस तरह करें पशुओं की देखभाल, यहां पढ़ें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पशुपालन

Animal Husbandry: गर्मी में सूखे के दौरान किस तरह करें पशुओं की देखभाल, यहां पढ़ें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

दुधारू पशुओं के बयाने के संकेत में सामान्यतया गर्भनाल या जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद हो जाता है.
गाय-भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. जिस तरह की गर्मी पड़ रही है मौजूदा समय में ये पशुओं के लिए बेहद ही परेशानी का वक्त है. हर तरफ चारे की कमी है. जिन इलाकों में बारिश कम होती है वहां तो स्थिति और ज्यादा गंभीर है. सूखे जैसे हालात हो गए हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि सूखे की स्थिति में पशुओं के लिये चारे का अभाव, पीने के लिये पानी की कमी, हरे चारे में प्वाइजनिंग और अभाव जनित कुपोषण जैसी समस्यायें उत्पन्न होती है. जिन पर प्राथमिकता के आधार पर नियत्रंण पाना आवश्यक होता है.

पशुपालक ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कुछ विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए. ताकि वे अपने पशुओं को बीमारियों से बचा सकें. अगर पशुपालक ऐसा करने में कामयाब होते हैं तो फिर पशुओं से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं और उत्पादन अच्छा रहेगा तो उन्हें बेहतर उत्पादन भी मिलेगा. आइए कुछ प्वाइंट्स में जानते हैं कि किन बातों पर ध्यान देना है.

  1. ज्यादा गर्मी और लू के कारण पशुओं में एक्यूट डीहाइ‌ड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए पशुपालक भाई पहले से ही ज्यादा मात्रा में इलेक्ट्रोलाइट एवं फल्यूड्स आदि की व्यवस्था करके रखें ताकि ऐसी दशा में पशुओं का जीवन बचाया जा सके.
  2. सूखे की स्थिति में पशुओं में खुरपका-मुहंपका रोग के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है अतः पशुपालक अपने निकटतम पशुचिकित्सालय पर जाकर अपने पशुओं को फ्री टीकाकरण अवश्य करायें. पशुपालन विभाग द्वारा केन्द्रीय योजना के तहत पशुपालकों के द्वार पर जाकर निशुल्क टीकाकरण कराया जाता है.
  3. गर्मी में हल्की बारिश के बाद यदि सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न होती है तो गलघोंटू रोग के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है, अतः पशुपालक इससे बचाव हेतु निकटतम पशुचिकित्सालय पर सरकारी फीस देकर टीकाकरण करायें.
  4. सूखे की स्थिति में परजीवी कीटाणुओं की समस्या बढ़ जाती है. अतः पशुपालक पशुचिकित्सक की सलाह के अनुसार पशुओं की डीवर्मिंग (पेट के कीड़ों की दवाई) अवश्य करायें.
  5. ग्रीष्मकाल में कुपोषण के फलस्वरूप पशुओं की उत्पादक क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, साथ ही प्रजनन क्षमता में भी कमी आ जाती है. अतः पशुपालकों से अनुरोध है कि वे पशुपालन विभाव द्वारा समय-समय पर आयोजित किये जाने वाले बांझपन शिविरों पर अपने पशुओं की जाँच अवश्य करायें.
  6. सूखे की स्थिति में हरे चारे में जहरीलेपन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. चरी में हाइड्रोसाइनिक एसिड नाम का एक जहरीला पदार्थ उत्पन्न हो जाता है, जिसके खाने से 80 प्रतिशत तक पशु आकस्मिक मौत के शिकार हो जाते हैं. प्रभावित पशु सर्वप्रथम लड़खड़ाने लगता है तथा चक्कर खाकर गिर जाता है. दांतों के किरकिराने की आवाज आती है. बार-बार पशु चौंकता रहता है. सांस तेजी से चलती है. आंखों की झिल्ली नीली पड़ जाती है. पशु में बेहोशी के दौरे शुरू हो जाते हैं। अनजाने में गोबर व पेशाब निकल जाता है, अंत में पशु की मृत्यु भी हो जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Animal husbandry, heat, temperature, severe heat, cow shed, UP government, ponds, dried up ponds,
पशुपालन

Animal News: पशु चिकित्सा संस्थान पर दवाओं की नहीं होगी कमी, पशुओं की हैल्थ पर किया फोकस

अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी स्तर पर दवाइयों की एक्सपायरी...

पशुपालनसरकारी स्की‍म

Biogas Plant News: यहां काऊ सेंक्चुरी में 5 टन बायो गैस उत्पादन के लिए बनाया जाएगा प्लांट

उन्होंने मृत पशु निष्पादन प्लांट की स्थापना जल्द कराएं तथा गौवंश वन्य...

पशुपालन

Animal Health: देश में पशुओं की हैल्थ सुधार को लेकर इन कामों को करने पर बनी सहमति, पढ़ें यहां

इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक समिति कक्ष...