नई दिल्ली. भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में नंबर एक पॉजिशन पर आता है. मगर, देश के कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी भैंस की 54 फीसदी है. इसके बाद गाय, भेड़-बकरी का भी दूध उत्पादन में अहम रोल है. डेयरी विशेषज्ञों का मानना है कि गाय और भैंस से ज्यादा पोष्टिक ऊंटनी का माना जाता है. यही वजह है कि अब विशेषज्ञ भी ऊंटनी के दूध का उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है. अभी हाल ही में ‘विश्व दुग्ध दिवस‘ पर बीकानेर एवं डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, “विश्व को पोषण देने के लिए गुणवत्तापूर्ण पोषण प्रदान करने में डेयरी की महत्वपूर्ण भूमिका” पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें गाय एवं भैंस के दूध के साथ-साथ ऊंटनी के दूध के महत्व को भी आमजन तक पंहुचाने पर जोर दिया गया.
भारत की बात करें तो हरियाणा के हिसार में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बफैलो रिसर्च लगातार भैंस पर रिसर्च करता रहता है. साल 2022-23 में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्रा प्रदेश में कुल दूध उत्पादन का 53 फीसद दूध उत्पादन हुआ था. हमारे देश में दूसरे देशों के मुकाबले दुधारू पशुओं की संख्या कहीं ज्यादा है. लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन के मामले में हमारा देश विश्वस्तर पर काफी पीछे है. डॉ. ओमप्रकाश (उरमूल डेयरी, बीकानेर) की मानें तो वे कहते हैं कि गांव एवं ढाणियों से दुग्ध उत्पादन से जुड़े पशुपालकों को उनके उत्पादन को समुचित लाभ मिलना चाहिए. गाय एवं भैंस के दूध के साथ-साथ दूसरे संस्थानों से मिलकर बकरी एवं ऊटनी के दुग्ध के महत्व को भी आमजन तक पंहुचा रहा हैं.
जानिए ऊंटनी के दुग्ध का महत्व
राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. अर्तबंधु साहू की मानें तो बकरी, भेड़, ऊंटनी, गधी, याक आदि जैसे जानवरों के गैर-गोजातीय दूध के स्वास्थ्य लाभों का पता लगाने की जरूरत है जिनमें कई चिकित्सीय गुण होते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं. गैर-गोजातीय दूध में बड़ी मात्रा में कार्यात्मक रूप से सक्रिय लिपिड, लैक्टोज, इम्युनोग्लोबुलिन, विभिन्न पेप्टाइड्स, न्यूक्लियोटाइड्स, ऑलिगोसेकेराइड्स और मेटाबोलाइट्स होते हैं. उनके दूध में कुछ अद्वितीय माइक्रोबियल गुण भी होते हैं, जिनका मानव स्वास्थ्य में सुधार के लिए उपयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि गैर-गोजातीय दूध के दूध घटकों के लक्षण वर्णन को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता पर लेने की जरूरत है क्योंकि इससे स्वस्थ और पौष्टिक उत्पादों के विकास के लिए दूध के विविधीकरण में काफी मदद मिलेगी और यह आय का एक स्रोत भी होगा.
ऊंटनी के दूध के क्या है पोषक तत्व
विशेषज्ञों की मानें तो बकरी का दूध भी बहुत पौष्टिक होता है.ऊंटनी के दूध में खनिज लवण और विटामिन की सांद्रता नस्ल, चारा पानी पानी का सेवन और स्तनपान की अवस्था पर निर्भर करती है, इसके अलावा, ऊंटनी के दूध में गाय के दूध की तुलना में विटामिन सी और नियासिन की मात्रा अधिक होती है लेकिन इसमें विटामिन बी1, बी2 और ए, पैंटोथेनिक एसिड और फोलिक एसिड की कमी होती है. , ऊंटनी के दूध में उच्च मात्रा में एंटीआक्सीडेंट होते हैं, जो मानव शरीर की कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को रोकने मदद करते हैं, जिससे कैंसर, मधुमेह और हृदय जैसी गंभीर बीमारियों को हो सकती है.
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